विधानसभा चुनाव परिणाम: आशा और आशंका के बीच जनतंत्र कहां है

जनादेश जब इस क़िस्म का हो कि मतदाताओं का एक तबका उसमें ख़ुद को किसी तरह शामिल न कर पाए, तो उसके मायने यही होंगे कि जनता खंडित हो चुकी है.