बीते जुलाई महीने में स्वयंभू बाबा नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग में मची भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो गई थी. अब तीन महीने बाद राज्य पुलिस द्वारा दायर चार्जशीट में 'भोले बाबा' का नाम नहीं है.
स्वयंभू बाबा नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा के सत्संग में मची भगदड़ में इस महीने की शुरुआत में 121 लोगों की मौत हो गई थी, जिसे उन्होंने उनके संगठन को बदनाम करने के लिए रची गई साज़िश बताया है.
उत्तर प्रदेश पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि क्या भोले बाबा उर्फ नारायण साकार हरि के संगठन या उनके कार्यक्रम के आयोजकों को किसी राजनीतिक दल से धन प्राप्त हुआ था? पुलिस का इशारा मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी की ओर जान पड़ता है, क्योंकि जनवरी 2023 में भोले बाबा के कार्यक्रम में अखिलेश यादव शामिल हुए थे.
ऐसा अनुमान है कि मुंबई में आयोजित विश्वविजेता भारतीय क्रिकेट टीम की विक्ट्री परेड के दौरान 3,00,000 प्रशंसक सड़कों पर आ जुटे थे. गौरतलब है कि दो ही दिन पहले उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक धार्मिक आयोजन में जुटी लाखों की भीड़ के बीच मची भगदड़ में 123 लोग मारे गए थे.
भगवा वस्त्र या धोती-कुर्ता जैसे बाबाओं के पारंपरिक परिधानों से इतर सूट-बूट और टाई में चमत्कार के ज़रिये भक्तों की समस्याओं का निवारण करने का दावा करने वाले 'भोले बाबा' को 'सूरज पाल' और 'नारायण साकार हरि' के नाम से भी जाना जाता है.
सत्संग के दौरान मंगलवार (2 जुलाई) को मची भगदड़ में मरने वालों की संख्या बढ़ कर 121 हो गई है. कई लोग अब भी लापता हैं, जिसके चलते मृतकों की संख्या बढ़ने की संभावना है.