रामधारी सिंह दिनकर ने कहा था, ‘मैं जीवन भर गांधी और मार्क्स के बीच झटके खाता रहा हूं. इसलिए उजले को लाल से गुणा करने पर जो रंग बनता है, वही रंग मेरी कविता का है. मेरा विश्वास है कि अंततोगत्वा यही रंग भारत के भविष्य का रंग होगा.’
भक्तिकालीन कवियों के बारे में कहा जाता है कि उनकी कविताएं कालजयी इसीलिए हो पाईं क्योंकि वे जीवन के प्राथमिक सच प्यार और मौत के बारे में बात करती हैं. यह आप देवताले की भी कविताओं में देख सकते हैं.