शेखर जोशी जीवन की असाधारण निरंतरता के लेखक थे

स्मृति शेष: नई कहानी भावों, मूड की कहानी थी. यहां वैयक्तिकता केंद्र में थी. पर शेखर जोशी इस वैयक्तिकता में भी एक ख़ास क़िस्म की सामाजिकता लेकर आते हैं, क्योंकि बक़ौल जोशी, लेखन उनके लिए ‘एक सामाजिक ज़िम्मेदारी से बंधा हुआ कर्म है.’