कई जानकार कह रहे हैं कि अरविंद केजरीवाल के नोट-राग ने ज़रूरी मुद्दों व जवाबदेहियों से देशवासियों का ध्यान भटकाकर लाभ उठाने में भाजपा की बड़ी मदद की है. ये जानकार सही सिद्ध हुए तो केजरीवाल की पार्टी की हालत ‘माया मिली न राम’ वाली भी हो सकती है.
अरविंद केजरीवाल के 'देश की तरक्की के लिए लक्ष्मी-गणेश का चित्र नोटों पर छापने' की सलाह से पहले देश ने पैसों के बारे में ऐसा अहमक़ाना प्रस्ताव 2016 में देखा था, जब देश के प्रधानमंत्री ने अचानक चलन में रहे अस्सी फीसदी नोटों को रातोंरात अवैध बताकर भ्रष्टाचार और काले धन पर अंकुश लगाने का दावा किया था.
भागलपुर ज़िले के पीरपैंती से भाजपा विधायक ललन पासवान ने देवी लक्ष्मी, सरस्वती और भगवान हनुमान पर कथित तौर पर टिप्पणी की. एक वीडियो में वह कथित तौर पर कहते हुए नज़र आ रहे हैं कि जो समुदाय इन देवी-देवताओं की पूजा नहीं करते, वे भी धन-संपदा और शिक्षा से संपन्न हैं. भाजपा ने विधायक से स्पष्टीकरण मांगा है.
एक स्त्री निर्देशक जब काली की छवि को अपनी बात कहने के लिए चुनती है तो वह लैंगिक न्याय और स्वतंत्रता में उसकी आस्था का प्रतीक है. क्या इंटरनेट पर आग उगल रहे तमाम ‘आस्थावान’ स्त्री स्वतंत्रता के इस उन्मुक्त चित्रण से भयभीत हो गए हैं? या उन्हें काली की स्वतंत्रता के पक्ष में स्त्रियों का बोलना असहज कर रहा है?
कहा जाता है कि मनुष्य अपनी छवि में अपने देवताओं को गढ़ता है. अज्ञेय ने लिखा है कि अगर आदमी की शक्ल घोड़े की होती तो उसके देवता भी अश्वमुख होते. इसलिए यदि वह शाकाहारी है तो उसके आराध्य को भी शाकाहारी होना होगा और दूषित आदतें छोड़नी होंगी.
कर्नाटक में कांग्रेस आईटी सेल की सचिव वी. शैलजा अमरनाथ पर हिंदू देवी-देवताओं के ख़िलाफ़ सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप है. इसे लेकर दक्षिण कन्नड़ जिले के पुत्तूर में अज्ञात उपद्रवियों ने उनके घर पर हमला किया है. इस संबंध में केस दर्ज किया गया है. पुलिस ने शैलजा के ख़िलाफ़ भी उनकी टिप्पणी को लेकर मामला दर्ज किया है.
बजरंग दल को कृष्ण और गोपियों या राधा की रति-क्रीड़ा या किसी अन्य देवी-देवता के शृंगारिक प्रसंगों के चित्रण से परेशानी है तो वे भारत के उस महान साहित्य का क्या करेंगे जो ऐसे संदर्भों से भरा पड़ा है? वे कालिदास के ‘कुमारसंभवम्’ का क्या करेंगे जिसमें शिव-पार्वती की रति-क्रीड़ा विस्तार से वर्णित है. संस्कृत काव्यों के उन मंगलाचरणों का क्या करेंगे जिनमें देवी-देवताओं के शारीरिक प्रसंगों का उद्दाम व सूक्ष्म वर्णन है?