ग्वालियर घराना: ध्रुपद अनंत की साधना है और ख़याल समय से संसक्ति है

कभी-कभार | अशोक वाजपेयी: ध्रुपद के उत्कर्ष के समय इतने तरह के संगीत नहीं थे जितने आज ख़याल की व्याप्ति के वक़्त हैं. ख़याल के ख़ुद को बचाने के संघर्ष की अनदेखी नहीं होनी चाहिए. जैसे आधुनिकता एक स्थायी क्रांति है और बाद के सभी परिवर्तन उसी में होते रहे हैं, वैसे ही ख़याल भी स्थायी क्रांति है.

प्रख्यात कथक नर्तक बिरजू महाराज का निधन

पारंपरिक भारतीय नृत्य शैली कथक को विश्व पटल पर ले जाने वाले प्रख्यात कथक नर्तक बिरजू महाराज एक शानदार गायक, कवि और चित्रकार भी थे. वह कथक नर्तकों के ‘महाराज परिवार’ के वंशज थे. उन्होंने अपने पिता और गुरु अचन महाराज और चाचा शंभू महाराज और लच्छू महाराज से प्रशिक्षण लिया था.

मशहूर संगीतकार वनराज भाटिया का निधन

श्याम बेनेगल के साथ 94 वर्षीय वनराज भाटिया ने दो दशक से अधिक समय तक काम किया था. बेनेगल की फिल्म ‘अंकुर’, ‘निशांत’, ‘मंथन’, ‘भूमिका’, ‘मं​डी’ के अलावा उनके धारावाहिक ‘यात्रा’ और ‘भारत एक खोज’ के लिए उन्होंने संगीत दिया था. उन्होंने समानांतर सिनेमा में दिए गए अपने संगीत से काफी नाम कमाया था. भारतीय शास्त्रीय संगीत के साथ पश्चिमी शैली का मिश्रण उनकी पहचान रही है.

प्रख्यात हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायक पंडित जसराज का अमेरिका में निधन

पंडित जसराज का सबसे बड़ा योगदान शास्त्रीय संगीत को जनता के लिए सरल और सहज बनाना रहा, जिससे उसकी लोकप्रियता बढ़ी. पिछले साल इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन ने सौरमंडल में एक छोटे ग्रह का नाम उनके नाम पर रखा था. यह सम्मान पाने वाले वह पहले भारतीय कलाकार हैं.

बंटवारे के बाद हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत हमेशा के लिए बदल गया

जब सत्ता यह तय करती है कि जनता क्या सुन सकती है, क्या गा सकती है, तब संगीत और संगीतकारों को अपना रास्ता बदलना पड़ता है या ख़त्म हो जाना पड़ता है.

मशहूर गायिका गिरिजा देवी पर शास्त्रीय गायिका विद्या राव से विनोद दुआ की बातचीत

ठुमरी की मलिका कही जाने वाली प्रख्यात शास्त्रीय गायिका गिरिजा देवी का कोलकाता में 88 वर्ष की उम्र में निधन हो गया.

‘किशोरी अमोनकर के बाद गिरिजा देवी का जाना हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत में ख़ालीपन भर गया’

ठुमरी की मलिका कही जाने वाली प्रख्यात शास्त्रीय गायिका गिरिजा देवी का कोलकाता में 88 वर्ष की उम्र में निधन.

आने वाली नस्लें हम पर रश्क करेंगी कि हमने किशोरी अमोनकर को देखा था

अमोनकर में एक खास कैफ़ियत थी, जिसे समझाया नहीं जा सकता. इसे हम करिश्मा कहते हैं. आप इसे महसूस तो कर सकते हैं, लेकिन इसे समझ या समझा नहीं सकते.