माई नेम इज़ सेल्मा: यह सिर्फ़ उस यहूदी महिला की कहानी भर नहीं है…

साल 2021 में 98 साल की उम्र में एक यहूदी महिला सेल्मा ने अपने नाम को शीर्षक बनाकर लिखी किताब में जर्मनी व यूरोप में 1933 से 1945 के बीच यहूदियों की स्थिति को दर्ज किया है. हज़ारों किलोमीटर और कई दशकों के फासलों के बावजूद 2023 के भारत में यह किताब किसी अजनबी दुनिया की बात नहीं लगती है.

‘मन की बात’ उसी प्रकार की आत्मरति है जैसी स्टालिन या हिटलर को थी

बताया जाता है कि सोवियत यूनियन में आप स्टालिन की आवाज़ से बच नहीं सकते थे. सड़कों पर लाउडस्पीकरों से स्टालिन की आवाज़ आपका पीछा करती रहती थी. हिटलर ने आत्मप्रचार के लिए रेडियो का कैसा इस्तेमाल किया, यह जानी हुई बात है. भारत भी अब हिटलर और स्टालिन के रास्ते चल रहा है.

गोलवरकर संबंधी ट्वीट पर संस्कृति मंत्रालय ने कहा- किसी विचारधारा को चुप कराने में विश्वास नहीं

केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने 19 फरवरी को अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से हिंदुत्ववादी विचारक एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व प्रमुख एमएस गोलवलकर को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें महान विचारक बताया था. इस ट्वीट की तमाम लोगों ने आलोचना की थी.

हिटलर और जाति समर्थक गोलवलकर की जयंती पर संस्कृति मंत्रालय ने किया ट्वीट, हुई कड़ी आलोचना

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख रहे एमएस गोलवलकर के विचारों को ज़्यादातर लोकतंत्र के ख़िलाफ़ माना जाता है. संघ प्रमुख मोहन भागवत ख़ुद एक कार्यक्रम के दौरान उनसे दूरी बनाते नज़र आए थे.