मेघालय के स्वास्थ्य सेवा निदेशक ने बताया कि स्वास्थ्य तंत्र के कोविड-19 महामारी से निपटने में लगे होने और चिकित्सा देखभाल की कमी के कारण बीते अप्रैल से जुलाई महीने के दौरान इन गर्भवती महिलाओं और नवजातों की मौत हुई है.
मृतका पटना मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के डॉक्टर की पत्नी थीं. डॉक्टर का कहना है कि कोरोना टेस्ट नेगेटिव आने के बावजूद कई अस्पतालों ने उनकी पत्नी को भर्ती नहीं किया. उन्होंने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को पत्र लिखकर निजी अस्पतालों पर कार्रवाई की मांग की है.
दिल्ली के रहने वाले संदीप गर्ग को सांस लेने में तकलीफ के चलते जीटीबी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उनकी बेटी का आरोप है कि अस्पताल के स्टाफ का व्यवहार काफ़ी ख़राब था. उन्होंने तमाम औपचारिकताएं और पेपर वर्क पूरा करने का हवाला देकर मेरे पिता को भर्ती करने में बहुत देर कर दी.
बीते पांच जून को नोएडा के कम से कम आठ अस्पतालों ने कोरोना संक्रमित होने के संदेह में आठ माह की एक गर्भवती महिला को भर्ती करने से इनकार कर दिया था. करीब 13 घंटे तक परिवार द्वारा कई अस्पतालों के चक्कर काटने के बाद महिला ने एंबुलेंस में ही दम तोड़ दिया था.