जेएनयू: फंड की कमी के चलते संपत्तियों के ‘निजीकरण’ की योजना के ख़िलाफ़ छात्र और शिक्षक

दिल्ली के अलग-अलग क्षेत्रों में जेएनयू की संपत्ति को निजी संस्था या किराए पर देने की योजना पर कुलपति शांतिश्री धुलिपुड़ी पंडित का कहना है कि शिक्षा मंत्रालय पूरी तरह से जेएनयू को सब्सिडी देता है, पर यूनिवर्सिटी की अपनी कोई आय नहीं है. जेएनयू को अपने ख़ुद के फंड कमाने की ज़रूरत है.

‘जेएनयू प्रशासन चाहता है कि उसके ग़लत फैसलों का विरोध न हो, वे जैसे चाहें यूनिवर्सिटी चलाएं’

बीते महीने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने नए नियमों में कैंपस के किसी भी शैक्षणिक या प्रशासनिक भवन के पास धरना देने, विरोध प्रदर्शन और भूख हड़ताल पर 20,000 रुपये के जुर्माने, कैंपस से निष्कासन की बात कही थी. 23 दिसंबर को इसके विरोध में छात्रों ने परिसर में मशाल मार्च निकाला.

जेएनयू: विरोध प्रदर्शन और भूख हड़ताल पर 20,000 रुपये का जुर्माना, कैंपस से निष्कासन भी हो सकता है

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) ने अपने कैंपस के किसी भी शैक्षणिक या प्रशासनिक भवन के पास धरना देने, भूख-हड़ताल करने या किसी अन्य प्रकार के विरोध पर रोक लगाने के लिए नए नियम जारी किए हैं. इसके अलावा फ्रेशर्स की स्वागत पार्टियों, विदाई या डीजे कार्यक्रम जैसे आयोजन करने पर भी दंड का प्रावधान किया गया है.