2022 में पैगंबर मोहम्मद पर भाजपा नेता नूपुर शर्मा की टिप्पणियों के ख़िलाफ़ इलाहाबाद में हुई हिंसा को लेकर यूपी पुलिस ने स्थानीय एक्टिविस्ट जावेद मोहम्मद को हिरासत में लिया था और उन्हें 'मास्टरमाइंड' बताने के बाद उनका घर गिरा दिया था. उनकी कहानी.
वीडियो: भारतीय जनता पार्टी के ‘जहां झुग्गी, वहीं मकान’ के नारे से बिल्कुल उलट बीते मंगलवार (21 नवंबर) को दिल्ली के मथुरा रोड पर निज़ामुद्दीन दरगाह के पास अतिक्रमण विरोधी अभियान के कारण ठंड के दिनों में सैकड़ों लोग बेघर हो गए. उन्हें अपने घर ख़ाली करने के लिए केवल तीन दिन का समय दिया गया था.
विशेष रिपोर्ट: 2020 में भाजपा की सत्ता में वापसी के बाद से लगभग हर संगीन अपराध में न्यायिक फैसले का इंतजार किए बिना आरोपियों को सज़ा देने के लिए उनसे जुड़े निर्माण अवैध बताकर बुलडोज़र चला दिया गया. कथित अपराध की सज़ा आरोपी के परिजनों को देने की इन मनमानी कार्रवाइयों का शिकार ज़्यादातर मुस्लिम, दलित और वंचित तबके के लोग ही रहे.
जस्टिस एल. नागेश्वर राव और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने अधिवक्ता विशाल तिवारी की ओर से दायर जनहित याचिका ख़ारिज करते हुए कहा, 'आप चाहते हैं कि जांच की अगुआई पूर्व चीफ जस्टिस करें? क्या कोई फ्री है? पता करिए, यह कैसी राहत है. ऐसी राहत मत मांगिए जो इस अदालत द्वारा दी नहीं जा सके.'
आणंद ज़िला कलेक्टर ने बताया कि अवैध कब्ज़े और अवैध निर्माण सहित सड़कों के किनारे खड़ी झाड़ियों पर भी बुलडोज़र चलवाया जा रहा है क्योंकि रामनवमी के जुलूस पर पथराव के बाद बदमाश इन्हीं झाड़ियों में छुप रहे थे. कांग्रेस ने इस अभियान को असंवैधानिक और मानवाधिकारों का उल्लंघन बताया.
इंदौर के संभागायुक्त पवन शर्मा के मुताबिक, हिंसा के दौरान सार्वजनिक और निजी संपत्तियों को हुए नुकसान की भरपाई दंगाइयों से की जाएगी. अब तक 84 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है और इन आरोपियों के 50 अवैध निर्माणों की पहचान की गई है, जिन्हें गिराना शुरू हो चुका है. हिंसा को लेकर अफ़वाह फैलाने के लिए राज्य सरकार के चार कर्मचारियों के ख़िलाफ़ भी कार्रवाई की गई है.
सुप्रीम कोर्ट ने द वायर का प्रकाशन करने वाले ‘फाउंडेशन फॉर इंडिपेंडेंट जर्नलिज़्म’ और उसके तीन पत्रकारों के ख़िलाफ़ उत्तर प्रदेश में दर्ज प्राथमिकियों को रद्द कराने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पास जाने के लिए कहा और उन्हें गिरफ़्तारी से दो माह का संरक्षण दिया है.
24 अप्रैल के अपने आदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया था कि कोविड-19 महामारी के मद्देनज़र, विध्वंस के किसी भी आदेश को 31 मई तक रोक दिया जाना चाहिए. इसके बावजूद 17 मई को उत्तर प्रदेश के बाराबंकी में रामसनेहीघाट स्थित मस्जिद को प्रशासन ने ध्वस्त कर दिया गया था.
उत्तर प्रदेश पुलिस ने बाराबंकी में अवैध तरीके से एक मस्जिद को ध्वस्त करने की रिपोर्ट को लेकर गुरुवार रात द वायर और इसके दो पत्रकारों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की है. मस्जिद को कथित तौर पर स्थानीय प्रशासन द्वारा बीते मई में ध्वस्त किया गया था, जिसकी ख़बर भारत और विदेशों में द वायर सहित कई अन्य मीडिया संस्थानों ने प्रकाशित की थी.