भारत की अर्थव्यवस्था गंभीर सुस्ती के दौर में, तत्काल नीतिगत कदमों की जरूरत: आईएमएफ

आईएमएफ एशिया और प्रशांत विभाग में भारत के लिए मिशन प्रमुख रानिल सलगादो ने कहा कि भारत के साथ मुख्य मुद्दा अर्थव्यवस्था में सुस्ती का है. इसकी वजह वित्तीय क्षेत्र का संकट है. इसमें सुधार उतना तेज नहीं होगा जितना हमने पहले सोचा था.

बेरोज़गारी और सुस्त आर्थिक वृद्धि की वजह से खाड़ी के कई देशों में अशांति: आईएमएफ

आईएमएफ की ओर से कहा गया है कि कई अरब देशों में प्रति व्यक्ति क़र्ज़ बहुत ही ज़्यादा बढ़ गया है. यहां जीडीपी का औसतन 85 प्रतिशत क़र्ज़ है. वहीं लेबनान और सूडान में यह क़र्ज़ जीडीपी का 150 प्रतिशत से ज़्यादा पहुंच चुका है.

भारत के लिए राजकोषीय घाटे को काबू में रखना जरूरी: आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष ने अपनी नवीनतम विश्व आर्थिक परिदृश्य रिपोर्ट में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 2019 में 6.1 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है. इससे पहले विश्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान घटाकर छह प्रतिशत कर दिया था. वित्त वर्ष 2018-19 में वृद्धि दर 6.9 फीसदी रही थी.

भारत की आर्थिक विकास दर अनुमान से काफी कमज़ोर: अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष

सरकारी आंकड़ों के अनुसार देश की आर्थिक वृद्धि दर सात साल के न्यूनतम स्तर पर है. अप्रैल से जून तिमाही में यह सात साल के निचले स्तर 5 फीसदी आ गई है, जो बीते साल की इसी अवधि में 8 फीसदी थी.

कैसे हुआ था रिज़र्व बैंक का बंटवारा

आज़ादी के 75 साल: 1947 में देश के विभाजन के बाद रिज़र्व बैंक ने कुछ समय तक पाकिस्तान के केंद्रीय बैंक की भी ज़िम्मेदारी उठाई थी, जिसने आगे जाकर कई मुश्किलें खड़ी कर दीं.

आरएसएस भारत के लिए समस्या बन सकता हैः रघुराम राजन

आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का कहना है कि आरएसएस का संकीर्ण वैश्विक दृष्टिकोण भारत के लिए गतिरोध पैदा कर सकता है. यह देश हमारे संस्थापकों नेहरू, गांधी के विचारों और हमारे संविधान की बुनियाद पर खड़ा है.

आर्थिक और राजनीतिक प्रणाली में लोगों के लिए समान अवसर उपलब्ध नहीं हो रहे: रघुराम राजन

आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि 2008 की वैश्विक आर्थिक मंदी के बाद आर्थिक और राजनीतिक व्यवस्था लोगों को समान अवसर उपलब्ध नहीं करा पाई है, इसलिए ग़रीब और ग़रीब होता जा रहा है जबकि अमीर और अमीर हो रहे हैं.

जब हार्वर्ड की गीता हार्डवर्क वाले मोदी से मिलेंगी, तो बैकग्राउंड में नोटबंदी के भाषण बजेंगे!

नरेंद्र मोदी ने कम से कम एक ऐसा आर्थिक समाज तो बना दिया है जो नतीजे से नहीं नीयत से मूल्यांकन करता है. मूर्खता की ऐसी आर्थिक जीत कब देखी गई है? गीता गोपीनाथ जैसी अर्थशास्त्री को नीयत का डेटा लेकर अपना नया शोध करना चाहिए.

रिज़र्व बैंक देश की आर्थिक वृद्धि में बाधा उत्पन्न कर रहा है: फिक्की अध्यक्ष

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का तीन पक्षीय सुधारों का सुझाव. जेटली बोले- भारत के पास अगले एक-दो दशक में उच्च वृद्धि की क्षमता है.