भारत की ओर से यह बयान ऐसे समय में आया है, जब नेपाल के विपक्षी दलों ने उन ख़बरों को लेकर असंतोष जताया है, जिसमें दावा किया गया था कि भारत सरकार उन क्षेत्रों में निर्माण गतिविधियां कर रही है, जिन्हें नेपाल ने अपने नक्शे में शामिल किया है. नेपाल की मुख्य विपक्षी पार्टी सीपीएन-यूएमएल द्वारा प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा से सीमा मुद्दे पर अपना रुख़ रखने और लिपुलेख पर स्थिति स्पष्ट करने की मांग की गई है.
उत्तराखंड में 30 दिसंबर को एक चुनावी रैली के दौरान नरेंद्र मोदी ने कहा था कि उनकी सरकार लिपुलेख में सड़क विस्तार करने जा रही है. इसके बाद नेपाल के सत्तारूढ़ गठबंधन के प्रमुख दल नेपाली कांग्रेस ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि यह मुद्दा दोनों देशों के बीच हुए समझौते के ख़िलाफ़ है. नेपाल लिपुलेख को अपना हिस्सा बताता रहा है.