जानने और नकारने का अधिकार

जानना पहली सीढ़ी है. उसके सहारे या उसके बल पर जनतंत्र का रास्ता खुलता है. सत्ता के निर्णय की जांच करने और उसे नकारने का अधिकार जन को जन बनाता है.
हिंदी कविता में जनतंत्र की उपस्थिति को रेखांकित करती इस श्रृंखला की चौथी कड़ी.

हरदीप सिंह निज्जर हत्याकांड में कनाडा पुलिस ने तीन भारतीयों को गिरफ़्तार किया

जून 2023 में ब्रिटिश कोलंबिया में खालिस्तान समर्थक नेता हरदीप सिंह निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जिसके संबंध में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कनाडाई संसद में दावा किया था कि इसके पीछे भारत सरकार के खुफिया एजेंटों का हाथ था.

वेनिस बिनाले से भारतीय पवेलियन की अनुपस्थिति

कला-यात्रा: वेनिस में प्रतिष्ठित बिनाले के साठवें संस्करण की शुरुआत हो चुकी है. अफ़सोस यह है कि पूरा विश्व जब अपने सांस्कृतिक स्रोतों के संवर्धन पर ध्यान दे रहा है, भारत अपनी विशिष्ट उपलब्धि को रेखांकित करने में नाकामयाब रहा है.

कविता का हस्तक्षेप

हर राजनीतिक दल जनता को जागरूक करना चाहता है. लेकिन अगर ‘पब्लिक’ सब जानती है तो उसे जागरूक करने की आवश्यकता ही क्यों हो?

भारत में प्रेस की आज़ादी की स्थिति अब भी ख़राब, विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में 159वां स्थान

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक जारी करते हुए मोदी राज में प्रेस की स्वतंत्रता को संकट में बताया. साथ ही, भारत में पत्रकारों के ख़िलाफ़ हो रही हिंसा और मीडिया उद्योग के कुछ लोगों के हाथों में सिमटते जाने को लेकर चिंता जताई.

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा- भारत, जापान ऐसे देश जो अप्रवासियों का स्वागत नहीं करते

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने एक कार्यक्रम में अमेरिका के विरोधी माने जाने वाले चीन और रूस को 'ज़ेनोफोबिक' बताते हुए भारत और जापान का नाम भी जोड़ा. इसके बाद ह्वाइट हाउस ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि कि बाइडन की टिप्पणी अपमानजनक नहीं थी और वे केवल अमेरिका की इमिग्रेंट्स नीति के बारे में बात कर रहे थे.

क्या सौगात की तरह दी जा रहीं सरकारी योजनाएं नागरिकों के हक़ ख़त्म कर देती हैं?

वीडियो: देश के विमर्श में अब मतदाता शब्द कम प्रचलित है और इसकी जगह 'लाभार्थी' ने ले ली है. क्या यह बदलाव देश के नागरिकों के लिए ख़ुश होने की वजह है या उनके अधिकारों के लिए ख़तरा? पब्लिक पॉलिसी विशेषज्ञ यामिनी अय्यर से बात कर रहे हैं द वायर हिंदी के संपादक आशुतोष भारद्वाज.

अत्याचारी और उसकी याद

आम चुनावों के दौरान जब हमारा देश, ख़ासकर हिंदी प्रदेश कठिन रास्ते से गुज़र रहा है, प्रस्तुत है हिंदी कविता में जनतंत्र की गौरवपूर्ण उपस्थिति की याद दिलाते इस स्तंभ की दूसरी क़िस्त.

हम प्रधानमंत्री नहीं, इस पद के उम्मीदवार भी नहीं, लेकिन प्रधानमंत्री होने का अधिकार हमारा है

जिस वक़्त हमारा चुनावी लोकतंत्र पूरे देश, ख़ासकर हिंदी प्रदेश में कठिन रास्ते से गुज़र रहा है, प्रस्तुत है यह नया स्तंभ जो हिंदी कविता में लोकतंत्र की गौरवपूर्ण उपस्थिति की याद दिलाता है.

ऑस्ट्रेलिया ने ‘गोपनीय जानकारी’ चुराने का प्रयास करने वाले भारतीय जासूसों को देश से निकाला था

ऑस्ट्रेलियाई मीडिया की रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्ष 2020 में ऑस्ट्रेलियाई सुरक्षा ख़ुफ़िया संगठन द्वारा विफल किया गया तथाकथित 'जासूसों का नेटवर्क' देश में रहने वाले भारतीयों की क़रीबी निगरानी और वर्तमान व पूर्व राजनेताओं के साथ घनिष्ठ संबंध बनाने में भी संलिप्त था.

अमेरिकी मीडिया में पन्नू की हत्या की ‘साज़िश’ के आरोपी भारतीय अधिकारी का नाम सामने आया

अमेरिकी अख़बार द वॉशिंगटन पोस्ट की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जिस समय अमेरिकी नागरिक और खालिस्तान समर्थक गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या की कथित साज़िश हुई, उस समय तत्कालीन रॉ प्रमुख सामंत गोयल पर 'विदेशों में रह रहे सिख कट्टरपंथियों को ख़त्म करने का काफी दबाव था.'

अमेरिका ने अक्टूबर से एमडीएच के निर्यात का एक तिहाई हिस्सा खारिज़ किया: रिपोर्ट

अमेरिका ने पिछले छह महीनों में साल्मोनेला बैक्टीरिया से दूषित पाए जाने के कारण एमडीएच प्राइवेट लिमिटेड द्वारा निर्यात किए गए सभी मसाला-संबंधित शिपमेंट में से 31 प्रतिशत को अस्वीकार कर दिया. वहीं, सिंगापुर और हांगकांग ने मसाला मिश्रण में कथित तौर पर कार्सिनोजेनिक कीटनाशक के बारे में ज्ञात होने के बाद एमडीएच और एवरेस्ट फूड प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के कुछ उत्पादों की बिक्री रोक दी है.

नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में किस राह पर चले न्यायाधीश?

वीडियो: पिछले दस बरस देश की विभिन्न संस्थाओं के लिए भी महत्वपूर्ण रहे हैं. नरेंद्र मोदी के पिछले दस सालों के कार्यकाल में सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश किस राह पर चले, संविधान के अभिभावक संवैधानिकता की कितनी रक्षा कर पाए, इस बारे में क़ानूनी मामलों पर लिखने वाले पत्रकार सौरव दास से बात कर रहे हैं द वायर हिंदी के संपादक आशुतोष भारद्वाज.

पहला आम चुनाव: इतिहास का सबसे बड़ा जुआ

इस ऐतिहासिक चुनाव का श्रेय कई इंसानों और संस्थाओं को दिया जा सकता है, लेकिन किसी भी मूल्यांकन की शुरुआत जवाहरलाल नेहरू और सुकुमार सेन के साथ उन दो संस्थाओं से होनी चाहिए जिनके उत्कृष्ट मूल्यों को दोनों इंसान रूपायित करते थे - भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और भारतीय सिविल सेवा.

2024 आम चुनाव: लोकतंत्र बचाने का संघर्ष

आज जब लोकतंत्र का अस्तित्व संकट में है, तब भी छोटे राजनीतिक कद लेकिन विराट अहंकारी विपक्षी नेता आपसी सहमति और एकजुटता से चुनाव लड़ने को इच्छुक नहीं हैं.