कई ओसीआई कार्डधारकों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि नागरिकता क़ानून के तहत सरकार को मनमानी शक्तियां मिल गई हैं, जिसके कारण वे अपना प्रतिरोध नहीं जता पाते हैं, उन्हें डर लगा रहता है कि कहीं इसके चलते उनका रजिस्ट्रेशन रद्द न कर दिया जाए.
असम के फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल ने अपने एक आदेश में हैदर अली नामक एक व्यक्ति को विदेशी घोषित कर दिया था, जबकि उन्होंने 1965 और 1970 के वोटर लिस्ट में शामिल अपने पिता और दादा के साथ संबंध को प्रमाण दिया था. गुवाहाटी हाईकोर्ट ने कहा कि व्यक्ति को सिर्फ़ इस आधार पर विदेशी नहीं घोषित किया जा सकता है कि वे वोटर लिस्ट में शामिल रिश्तेदारों के साथ अपने संबंध स्थापित नहीं कर पाया है.
ऐसे राज्य में जहां एनआरसी के चलते 20 लाख के क़रीब आबादी 'स्टेटलेस' होने के ख़तरे के मुहाने पर खड़ी हो, वहां के सबसे महत्वपूर्ण चुनाव में इस बारे में विस्तृत चर्चा न होना सवाल खड़े करता है.
असम सरकार ने चार मार्च को लिखे पत्र में एनआरसी के लंबित कार्यों को 31 मार्च के बाद पूरा करने के लिए पूर्व में आवंटित 1600 करोड़ रुपये से अधिक के बजट के अलावा अतिरिक्त 3.22 करोड़ रुपये प्रतिमाह जारी करने का अनुरोध किया था.
केंद्रीय गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने सदन में बताया कि अब तक सरकार ने एनआरसी को राष्ट्रीय स्तर पर तैयार करने का कोई निर्णय नहीं लिया है. एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि नागरिकता अधिनियम और भारतीय नागरिकों के राष्ट्रीय रजिस्टर के तहत डिटेंशन केंद्रों का कोई प्रावधान नहीं है.
ओवरसीज़ सिटीजंस ऑफ इंडिया (ओसीआई) कार्ड धारकों के लिए पहले इस तरह की शर्तें सिर्फ़ गाइडलाइन के रूप में दर्ज थीं, लेकिन अब सरकार ने इन्हें क़ानूनी मान्यता प्रदान कर दिया है. आलोचना के बाद सरकार ने दावा किया कि ये प्रतिबंध पहले जारी की गईं अधिसूचनाओं का रूप हैं, जो कि अधिक स्पष्टता के साथ जारी किए गए हैं.
वीडियो: संविधान का अनुच्छेद 9 दोहरी नागरिकता पर रोक लगाता है. अनुच्छेद 10 कहता है कि नागरिकता का अधिकार जो अनुच्छेद 5 से 8 में दिया गया है, वो बना रहेगा, जब तक संसद क़ानून द्वारा उसे बदलती नहीं है. नागरिकता संबंधी कानूनों के बारे में विस्तार से बता रही हैं अवनि बंसल.
वीडियो: हमारा संविधान कार्यक्रम के सातवें एपिसोड में जानिए भारतीय संविधान बनने के बाद किसे मिला नागरिकता का अधिकार. निवास और किसी अन्य देश से आए लोगों के लिए कैसे तय किया गया नागरिकता का अधिकार.
मूल रूप से पूर्वी पाकिस्तान के मतुआ समुदाय के लोग हिंदू हैं. पश्चिम बंगाल में इस समुदाय की अनुमानित आबादी 30 लाख है. नादिया, उत्तर एवं दक्षिण 24 परगना ज़िलों की कम से कम चार लोकसभा सीटों और 30 से अधिक विधानसभा सीटों पर इस समुदाय का प्रभाव है.
गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में बताया कि 2015 से 2019 के बीच 6.76 लाख से अधिक लोगों ने भारतीय नागरिकता छोड़ी और दूसरे देशों की नागरिकता ले ली. विदेश में 1.25 करोड़ भारतीय नागरिक रह रहे हैं.
गुजरात विश्वविद्यालय से मान्यता प्राप्त एक कॉलेज की छात्रा ने आरटीआई दायर कर इंटर्नल परीक्षा के मार्कशीट की प्रतियां मांगी थीं, लेकिन संस्थान ने कहा कि पहले वे अपनी भारतीय नागरिकता साबित करें. छात्रा का कहना है कि संविधान या आरटीआई एक्ट में ऐसा कोई नियम नहीं है और वह इसे हाईकोर्ट में चुनौती देंगी.
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने राज्यसभा को बताया है कि 2017 से 17 सितंबर 2020 तक कुल 2,729 लोगों को भारतीय नागरिकता दी गई. इनमें अमेरिका, श्रीलंका, नेपाल, ब्रिटेन, मलेशिया, कनाडा और सिंगापुर के लोग भी शामिल हैं.
दुनिया भर में चीन के बाद भारत दूसरे नंबर है, जिसके अरबपति नागरिकता छोड़ देते हैं. 2015 और 2017 के बीच 17,000 अति अमीर भारतीयों ने प्यारे भारत का त्याग कर दिया.
केंद्र की मोदी सरकार पर राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर में बंगालियों के नाम हटाकर उन्हें असम से बाहर करने की साज़िश रचने का आरोप पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लगाया है.
राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर में कई प्रतिष्ठित सियासतदानों के नाम नहीं. असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा कि जिनका नाम नहीं उन्हें नागरिकता साबित करने का मौका मिलेगा.