दुनिया भर के कम से कम 21 भारतीय प्रवासी संगठनों ने 'द वायर' पर छापे को भारत में पत्रकारिता और प्रेस की स्वतंत्रता में लगातार आ रही गिरावट के तौर पर देखा है और कहा है कि छापेमारी और कुछ नहीं, बल्कि सरकार से सवाल पूछने वाले पत्रकारों को धमकाने और चुप कराने की सरकारी शक्ति का सार्वजनिक प्रदर्शन था.