चुनाव भले जब हों, ‘इंडिया’ गठबंधन को कुछ बुनियादी सवालों के लिए तैयार रहना चाहिए

विभिन्न विपक्षी दलों के बीच का सौहार्द्र उत्साहजनक है. पर आम चुनाव जब भी हों, उससे पहले 'इंडिया' गठबंधन को इस मुश्किल इम्तिहान के लिए तैयार रहना होगा.

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बीते शुक्रवार को मुंबई में विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ की तीसरी बैठक का आयोजन किया गया. दो दिवसीय बैठक में 14 सदस्यीय केंद्रीय समिति, एक अभियान समिति, एक मीडिया समिति और एक सोशल मीडिया कार्य समूह बनाने पर सहमति बनी. इस दौरान गठबंधन में शामिल नेताओं ने महंगाई और भ्रष्टाचार को लेकर मोदी सरकार पर निशाना भी साधा.

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कई बार एकताओं व गठबंधनों से कुछ भी हासिल नहीं होता. दल मान लेते हैं कि गठबंधन कर लेने भर से बेड़ा पार हो जाएगा. लेकिन ज़मीनी स्तर पर समर्थकों के बीच बहुत-सी ग्रंथियां होती हैं. 'इंडिया' के घटक दलों के समर्थकों के बीच भी ऐसी ग्रंथियां कम नहीं हैं. 

विपक्षी दलों ने साथ आने का पहला क़दम ले लिया है, पर चुनौतियां अभी बाक़ी हैं

लगभग सभी राज्यों में जहां क्षेत्रीय पार्टियां मज़बूत हैं, कांग्रेस उनकी मुख्य प्रतिद्वंद्वी है. स्थानीय कांग्रेस इकाइयां इन दलों से वर्षों से मुक़ाबला कर रही हैं. अब इनका एकजुट होना, भले ही किसी बड़े मक़सद के लिए, आसान नहीं होगा.

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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि जल्द ही 11 सदस्यीय समन्वय समिति गठित की जाएगी. हम मुंबई में फिर से मिलेंगे, जहां हम समन्वयकों के नामों पर चर्चा करेंगे और उनकी घोषणा करेंगे. वहीं एनडीए की बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि विपक्षी दल राजनीतिक स्वार्थ के लिए क़रीब तो आ सकते हैं, लेकिन साथ नहीं आ सकते.