रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध के चलते क़रीब सात माह पहले यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्र भारत लौट आए थे, जो कि हालात सुधरने के बाद सितंबर में वापस यूक्रेन चले गए थे. अब वापस हालात बिगड़ने पर भारत ने छात्रों से यूक्रेन तुरंत छोड़ने के संबंध में दो परामर्श जारी किए हैं.
क्या वे छात्र संस्कारहीन हैं जो हवाई अड्डे पर छवि निर्माण को तैनात मंत्रियों की अनदेखी करते निकले जा रहे थे? क्या वह छात्र बदतमीज़ है जिसने मंत्री द्वारा दिया फूल परे पटक दिया और पूछा कि यह किस काम का? क्या वे छात्र इनसे अधिक सभ्य हैं जो अपने होठों पर मुस्कान चिपकाकर भाजपा नेताओं का झूठ सुनते रहे? जिन्होंने बाहर निकलकर कहा कि वे मजबूर थे क्योंकि उन्हें नेता के सामने सिर्फ पॉज़िटिव बात करने को कहा गया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक चुनावी रैली में कहा कि दुनिया भर में मानवता की रक्षा के लिए देश का, यानी उसकी सरकार का, मज़बूत होना ज़रूरी है. लेकिन अपनी जिस सरकार को समर्थ व मज़बूत मानकर वे यह बात कर रहे थे, वह मानवता की तो क्या, अपने छात्रों की रक्षा भी नहीं कर पा रही.
रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान जान गंवाने वाले भारतीय छात्र नवीन के शव को भारत लाने के सवाल पर हुबली धारवाड़ पश्चिम से भाजपा विधायक अरविंद बेल्लाड का कहना है कि ऐसी स्थिति में जब जीवित लोगों को लाना मुश्किल साबित हो रहा है तब शव लाना और भी मुश्किल होगा, क्योंकि यह अधिक जगह घेरेगा. इतनी जगह में 10 से 12 लोगों को लाया जा सकता है.
कांग्रेस नेता राहुल गांधी का बयान ऐसे समय आया है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चिकित्सा शिक्षा के लिए बड़ी संख्या में भारतीय छात्रों के विदेश जाने के लिए पिछली सरकारों को ज़िम्मेदार ठहराया और कहा कि उनकी सरकार देश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या बढ़ाने पर काम कर रही है, ताकि छात्र देश में ही मेडिकल शिक्षा पा सकें.
जो दुख में है, पीड़ित है, उसी की खिल्ली उड़ाने का नया रिवाज इस देश में चल पड़ा है. इसे क्या मात्र क्षुद्रता कहा जाए? या यह बड़ा चारित्रिक पतन है? हर कुछ रोज़ पर इस क्षुद्रता का एक नया नमूना देखने को मिलता है. अभी यूक्रेन पर रूसी हमले के समय यह फिर उभर आई है.
यूक्रेन के कीव स्थित भारतीय दूतावास ने मंगलवार को जारी बयान में कहा कि यूक्रेन में मौजूदा स्थिति की अनिश्चितताओं को देखते हुए भारतीय नागरिक, विशेष रूप से छात्रों जिनका वहां रहना आवश्यक नहीं है, वे अस्थाई तौर पर निकलने पर विचार कर सकते हैं. भारतीय नागरिकों को यूक्रेन के भीतर अनावश्यक यात्राओं से बचने की भी सलाह दी जाती है.