इंक़लाब की बेटी ने कहा कि उनके पिता सरकार और बुद्धिजीवियों द्वारा दिए जाने वाले पुरस्कारों में बिल्कुल विश्वास नहीं करते थे. अगर वे जीवित होते तो इस पुरस्कार को स्वीकार नहीं करते.
इंक़लाब की बेटी ने कहा कि उनके पिता सरकार और बुद्धिजीवियों द्वारा दिए जाने वाले पुरस्कारों में बिल्कुल विश्वास नहीं करते थे. अगर वे जीवित होते तो इस पुरस्कार को स्वीकार नहीं करते.