पिछले वर्षों में हिंदी पत्रकारिता अमूमन यूट्यूब और वायरल वीडियो तक सिमट गई है. ज़मीनी पत्रकार की जगह 'सेलेब्रिटी एंकर' ने ली है. क्या यूट्यूब के भड़काऊ मोनोलॉग खोजी पत्रकारिता का गला घोंट रहे हैं? हिंदी के प्रख्यात नाम वीडियो तक क्यों सिमट गए हैं? उन्होंने गद्य का रास्ता क्यों त्याग दिया है?
इस विषय पर द वायर हिंदी की परिचर्चा.