एक कार्यक्रम में तीन वरिष्ठ सेवानिवृत्त शीर्ष पुलिस अधिकारियों- जूलियो रिबेरो, वीएन राय और एसआर दारापुरी ने कहा कि एल्गार परिषद मामले में इस बात की व्यापक जांच होनी चाहिए कि आरोपियों के फोन और लैपटॉप जैसे डिवाइस में जाली सबूत पहुंचाने के लिए पेगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया था या नहीं.
भाकपा सांसद बिजॉय विश्वम ने राज्यसभा में केंद्र सरकार से पूछा था कि सरकार ने इज़रायली कंपनी एनएसओ ग्रुप के साथ कोई समझौता किया था या नहीं? इस पर केंद्र को 12 अगस्त को राज्यसभा में जवाब देना था. सरकार ने राज्यसभा सचिवालय को पत्र लिखकर कहा है कि इस मामले में कई जनहित याचिकाएं दायर किए जाने के बाद से यह सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, इसलिए इसका जवाब नहीं दिया जाना चाहिए.
पेगासस प्रोजेक्ट: एनएसओ ग्रुप के लीक डेटाबेस में मिले भारतीय नंबरों की फेहरिस्त में सुप्रीम कोर्ट के जज रहे जस्टिस अरुण मिश्रा द्वारा पूर्व में इस्तेमाल किए गए एक नंबर के साथ नीरव मोदी और क्रिश्चियन मिशेल के वकीलों के नंबर भी मिले हैं, जो संभावित सर्विलांस के निशाने पर थे.
सीजेआई एनवी रमना की पीठ ने इजरायली स्पायवेयर मामले की जांच का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर नोटिस जारी नहीं किया. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि वे अपनी याचिकाओं की प्रतियां केंद्र को मुहैया कराएं ताकि अगली सुनवाई में सरकार की ओर से नोटिस स्वीकार करने के लिए कोई मौजूद रहे.
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया की याचिका में कहा गया कि प्रेस की आज़ादी पत्रकारों की रिपोर्टिंग में सरकार और उसकी एजेंसियों द्वारा हस्तक्षेप नहीं किए जाने पर निर्भर होती है, जिसमें सूत्रों के साथ सुरक्षा व गोपनीयता के साथ बात करने की उनकी क्षमता, सत्ता के दुरुपयोग एवं भ्रष्टाचार की जांच, सरकारी अक्षमता का खुलासा करना, और सरकार के विरोध में या विपक्ष से बात करना शामिल है.
इज़रायल के एनएसओ समूह के पेगासस स्पायवेयर से जासूसी के आरोपों के सामने आने के बाद पहली बार इससे प्रभावित लोगों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख़ किया है. पत्रकार परंजॉय गुहा ठाकुरता, एसएनएम अब्दी, प्रेम शंकर झा, रूपेश कुमार सिंह और कार्यकर्ता इप्सा शताक्षी की ओर से ये याचिकाएं दायर की गई हैं. इससे पहले वरिष्ठ पत्रकार एन. राम और शशि कुमार ने भी सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी.
हरियाणा और त्रिपुरा के राज्यपाल रह चुके वरिष्ठ भाजपा नेता कप्तान सिंह सोलंकी ने पेगासस जासूसी मामले में जांच का समर्थन करते हुए कहा कि लोकतंत्र आपसी विश्वास पर टिका है और निजता की सुरक्षा होनी चाहिए. सच क्या है, इसकी जांच होनी चाहिए.
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार भाजपा के सहयोगी दलों के ऐसे पहले नेता हैं, जिन्होंने पेगासस प्रोजेक्ट के खुलासों की जांच की मांग की है. द वायर समेत दुनिया के 17 संस्थानों ने बताया था कि देश के केंद्रीय मंत्रियों, 40 से ज़्यादा पत्रकारों, विपक्षी नेताओं, एक मौजूदा जज, कई कारोबारियों व कार्यकर्ताओं समेत 300 से अधिक भारतीय फोन नंबर उस लीक डेटाबेस में थे, जिनकी पेगासस से हैकिंग हुई या वे संभावित निशाने पर थे.
वीडियो: पेगासस जासूसी मामले में बिहार के स्वतंत्र पत्रकार संजय श्याम का नाम भी शामिल है. इस विषय पर द वायर ने उनसे बातचीत की.
वीडियो: इस हफ्ते नॉर्थ ईस्ट डायरी में पेगासस प्रोजेक्ट के अंतर्गत सामने आई संभावित सर्विलांस की लिस्ट में असम और नगालैंड के नेता तथा मणिपुर के लेखक का नंबर मिलने और असम-मिज़ोरम सीमा पर चल रहे तनाव को लेकर द वायर की नेशनल अफेयर्स एडिटर संगीता बरुआ पिशारोती से मीनाक्षी तिवारी की बातचीत.
युवाओं की टीम ने जनता का हाल जानने के लिए राजा को कई सारा आइडिया दिया, मगर सब ख़ारिज हो गए. राजा को रात में निकलना पसंद नहीं आ रहा था. राजा ने समझाया कि इस शहर के चप्पे-चप्पे पर उसकी तस्वीर लगी है. इसलिए बाहर निकलते ही पहचाने जाने का ख़तरा है. तभी एक सदस्य ने कहा कि फोन की जासूसी करते हैं.
टेक्नोलॉजी को वापस नहीं लिया जा सकता. लेकिन इसे मुक्त बाज़ार में अनियंत्रित, क़ानूनी उद्योग के रूप में काम करने की इजाज़त देने की ज़रूरत नहीं है. इस पर क़ानून की लगाम होनी चाहिए. तकनीक रह सकती है, लेकिन उद्योग का रहना ज़रूरी नहीं है.
पत्रकारिता संस्थान अपने संसाधनों के चलते सीमित होते है, इसलिए राष्ट्रीय और वैश्विक दोनों स्तरों पर केवल वास्तविक जांच से ही पेगासस के उपयोग की सही स्तर का पता चलेगा.
द वायर सहित एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया कंसोर्टियम ने सिलसिलेवार रिपोर्ट्स में बताया है कि देश के केंद्रीय मंत्रियों, 40 से ज़्यादा पत्रकारों, विपक्षी नेताओं, एक मौजूदा जज, कई कारोबारियों व कार्यकर्ताओं समेत 300 से अधिक भारतीय फोन नंबर उस लीक डेटाबेस में थे, जिनकी पेगासस से हैकिंग हुई या वे संभावित निशाने पर थे.
वीडियो: डीएनए के पूर्व विशेष संवाददाता और स्वतंत्र पत्रकार दीपक गिडवानी का फ़ोन नंबर पेगासस की जासूसी वाली संभावित सूची में शामिल है. इस मुद्दे पर दीपक गिडवानी से द वायर की बातचीत.