पिछले लगभग एक दशक से व्यवस्था और समाज के कमोबेश हर स्तर पर मुस्लिमों को अलग-थलग करने का सुनियोजित प्रयास चल रहा है. उनके ख़िलाफ़ नफ़रत और हिंसा को बढ़ावा दिया जा रहा है. ऐसे में आम मुसलमान विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में ख़ुद को कहां पाता है?
पिछले लगभग एक दशक से व्यवस्था और समाज के कमोबेश हर स्तर पर मुस्लिमों को अलग-थलग करने का सुनियोजित प्रयास चल रहा है. उनके ख़िलाफ़ नफ़रत और हिंसा को बढ़ावा दिया जा रहा है. ऐसे में आम मुसलमान विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में ख़ुद को कहां पाता है?