सरदार उधम: उग्र राष्ट्रवाद का शिकार हुए बिना एक स्वतंत्रता सेनानी की कहानी कहती फिल्म

उधम सिंह और भगत सिंह के चरित्रों को एक संदर्भ देते हुए शूजीत सरकार दो महत्वपूर्ण लक्ष्यों को साध लेते हैं. पहला, वे क्रांतिकारियों को वर्तमान संकीर्ण राष्ट्रवाद के विमर्श के चश्मे से दिखाई जाने वाली उनकी छवि से और बड़ा और बेहतर बनाकर पेश करते हैं. दूसरा, वे आज़ादी के असली मर्म की मिसाल पेश करते हैं. क्योंकि जब सवाल आज़ादी का आता है, तो सिर्फ दो सवाल मायने रखते हैं: किसकी और किससे आज़ादी?

सरदार उधम फ़िल्म के पास कहने को बहुत कुछ नहीं है…

इस दौर में जब देशभक्ति का नशा जनता को कई शक्लों में दिया जा रहा है, तब एक क्रांतिकारी के जीवन और उसके दौर की बहसों के सहारे राष्ट्रवाद पर सामाजिक विचार-विमर्श अर्थपूर्ण दिशा दी जा सकती थी, लेकिन यह फ़िल्म ऐसा करने की इच्छुक नहीं दिखती.

जलियांवाला बाग स्मारक के नवीकरण पर विवाद; इतिहासकारों, विपक्षी नेताओं ने शहीदों का अपमान बताया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते 28 अगस्त को अमृतसर स्थित जलियांवाला बाग स्मारक के रेनोवेटेड परिसर का उद्घाटन किया था. रेनोवेशन के तहत 1919 की इस विभित्स घटना को दर्शाने के लिए साउंड एंड लाइट शो की व्यवस्था की गई है. 13 अप्रैल 1919 को जलियांवाला बाग में निहत्थे लोगों पर जनरल डायर ने गोलियां चलवाईं थीं, जिसमें लगभग 1,000 लोगों की मौत हो गई थी.

ब्रिटेन के ईसाई धर्मगुरु ने कहा, जलियांवाला बाग नरसंहार के लिए शर्मसार हूं, माफी मांगता हूं

ब्रिटिश ईसाई धर्मगुरु आर्कबिशप ऑफ कैंटरबरी जस्टिन वेलबी जलियांवाला बाग पहुंचे और 1919 में हुए नरसंहार में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देते हुए ज़मीन पर दंडवत लेट गए. उन्होंने यह भी कहा कि वे इस जगह हुए अपराध के लिए शर्मिंदा हैं.

जलियांवाला बाग राष्ट्रीय स्मारक संशोधन विधेयक लोकसभा में पास, कांग्रेस का वॉकआउट

विधेयक में जलियांवाला बाग स्मारक के न्यासियों में से कांग्रेस अध्यक्ष के नाम को हटाने और लोकसभा में सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को न्यासी बनाने का प्रावधान शामिल किया गया है.

जब मंटो जलियांवाला बाग़ में घंटों बैठकर अंग्रेज़ी हुकूमत के तख़्तापलट के सपने देखा करते थे

जलियांवाला बाग़ नरसंहार ने मंटो को बदल दिया था. मंटो तब सात साल के थे, जब बाग़ का ख़ूनी दृश्य देखा और उसको कहीं अपने भीतर महसूस किया. बचपन की ये कैफ़ियत उनके परिपक्व होने तक भी नहीं निकल पाई. इसके बहुत बाद में जब वे अपने साहित्यिक जीवन की पहली कहानी ‘तमाशा’ लिख रहे थे, तब शायद उसी यातना से गुज़र रहे थे.

जलियांवाला बाग हत्याकांड इतिहास पर शर्मसार करने वाला धब्बा:​ ब्रिटेन की प्रधानमंत्री

भारतीय मूल के सांसदों ने जलियांवाला बाग हत्याकांड के लिए औपचारिक तौर पर माफ़ी मांगने की मांग ब्रिटेन की सरकार से की. ब्रिटेन के विदेश मंत्री ने कहा कि अगर हम तमाम घटनाओं पर माफ़ी मांगने लगेंगे तो इससे माफ़ी का महत्व कम हो जाएगा.