जम्मू-कश्मीर में 2022 में चुनावी क्षेत्रों के पुनर्निधारण के लिए परिसीमन की प्रक्रिया की गई थी, जिसके बाद जम्मू में विधानसभा सीटों की संख्या 37 से बढ़कर 43 हो गई थी. हालांकि, चुनावी आंकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि भाजपा को इससे कोई ख़ास लाभ नहीं हुआ.
चुनाव आयोग द्वारा जारी आंकड़ों से पता चलता है कि साल 2008 के विधानसभा चुनाव में प्रति सीट औसतन 2 प्रतिशत से भी कम वोट हासिल करने वाली भारतीय जनता पार्टी ने इस बार जिन 19 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे, वहां उसका मत प्रतिशत बढ़कर औसतन 6.76 प्रतिशत हो गया है.
अविभाजित जम्मू-कश्मीर में दशक भर पहले हुए विधानसभा चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी वर्तमान चुनाव में दहाई का अंक भी नहीं छू पाई है और केवल एक सीट जीती है तथा तीन पर आगे चल रही है.
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री अब्दुल्ला के आरोपों को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के कार्यालय ने 'भ्रामक और अटकलबाजी' करार देते हुए कहा है कि ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है.
जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में परंपरागत राजनीतिक दल- पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस आदि ही निर्दलीय प्रत्याशियों समेत छोटे क्षेत्रीय दलों को भाजपा का 'प्रॉक्सी' और 'बी' टीम बता रहे थे. हाल यह है कि अब स्वतंत्र प्रत्याशियों को समर्थन देने वाले जमात-ए-इस्लामी ने भी यही दावे दोहराए हैं.
वीडियो: जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव को बदलाव की बयार के तौर पर देखा जा रहा है, पर क्या इनसे सूबे के हालात में कोई परिवर्तन होगा? इस बारे में द वायर हिंदी के संपादक आशुतोष भारद्वाज और न्यूज़लॉन्ड्री की मैनेजिंग एडिटर मनीषा पांडे के साथ चर्चा कर रही हैं मीनाक्षी तिवारी.
कश्मीर विधानसभा चुनाव में जमात-ए-इस्लामी के प्रवेश ने नए असमंजस पैदा कर दिए हैं.
विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान के महज़ दो दिन पहले सांसद इंजीनियर राशिद की अवामी इत्तेहाद पार्टी और जमात-ए-इस्लामी ने साथ मिलकर चुनाव लड़ने का फ़ैसला किया है. एआईपी दक्षिण कश्मीर के पुलवामा और कुलगाम में जमात के उम्मीदवारों का समर्थन करेगी, वहीं जमात पूरे कश्मीर में एआईपी के उम्मीदवारों को समर्थन देगी.
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने उन दलों के नाम बताए हैं जिनके साथ भाजपा सरकार नहीं बनाएगी, लेकिन उन्होंने निर्दलियों, अपनी पार्टी और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस पर चुप्पी साध ली. इस बीच, अमित शाह ने कहा है कि अगर नेशनल कॉन्फ्रेंस-कांग्रेस की सरकार बनती है तो जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद लौट आएगा.