कठुआ मामले में मीडिया रिपोर्ट ग़लत, जांच में साफ़ कि पीड़िता का यौन उत्पीड़न हुआ: जम्मू कश्मीर पुलिस

कठुआ मामला में बलात्कार न होने की मीडिया रिपोर्ट पर जम्मू कश्मीर पुलिस ने दिया स्पष्टीकरण, कहा मेडिकल रिपोर्ट्स के आधार पर ही फाइल की गई है चार्जशीट.

कठुआ गैंगरेप: आरोपियों ने ख़ुद को बताया बेक़सूर, नार्को टेस्ट की मांग की

अपराध शाखा द्वारा दायर आरोप पत्र के अनुसार, बच्ची का अपहरण, सामूहिक बलात्कार और हत्या अल्पसंख्यक घुमंतू समुदाय को क्षेत्र से हटाने के लिए रची गई एक सोची-समझी साज़िश थी.

जम्मू कश्मीर में भी लागू हो पॉक्सो एक्ट: राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग

आयोग का कहना है कि कठुआ गैंगरेप जैसे जघन्य मामलों में मृत्युदंड का प्रावधान करने कि लिए पॉक्सो क़ानून में संशोधन होना चाहिए.

‘मुंह फेर कर गुज़र जाने’ का वक़्त अब नहीं रहा, कठुआ के बाद तो बिल्कुल नहीं

इस तरह के पागलपन और दरिंदगी के आलम में हमारा पूरा वजूद सुन्न पड़ जाता है. एक मायूसी भरा सन्नाटा सबको अपनी चपेट में ले लेता है. मगर फिर एक मुकाम वो भी आता है, जहां यही मायूसी एक भयानक गुस्से में तब्दील हो जाती है.

नफ़रत की यह राजनीति आपका इस्तेमाल करेगी और हत्यारा बना देगी

लोग आपको तिरंगे की चादर में लपेट कर हिंदुत्व का मनोवैज्ञानिक प्रशिक्षण दे रहे थे, इसलिए नहीं कि आप सात्विक और आध्यात्मिक बन जाएं बल्कि किसी की हत्या के वक़्त हिंदुत्व के नाम पर आप चुप रहना सीख लें.

कठुआ गैंगरेप मामले में पाकिस्तान का हाथ: भाजपा सांसद

मध्य प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और सांसद नंदकुमार सिंह चौहान ने कहा है कि लड़की से बलात्कार पर जय श्रीराम के नारे लगाने का काम पाकिस्तानी एजेंटों ने हमारे बीच मतभेद पैदा करने के लिए किया होगा.

इन दो लड़कियों को इंसाफ़ नहीं मिला तो ये देश शर्मिंदगी से कभी उबर नहीं पाएगा

हिंदू-मुसलमान, ऊंची जाति, नीची जाति, नॉर्थ इंडियन, साउथ इंडियन, काले-गोरे, हरे, पीले, लाल, गुलाबी, भगवा, कत्थई. सब बन लिए. अब जरा भारतीय बनकर भारत को बचा लो.

कठुआ बलात्कार-हत्या मामले में जो कुछ हो रहा है, वो हमारी इंसानियत पर सवाल खड़ा करता है

जम्मू कश्मीर के कठुआ में आठ साल की मासूम से सामूहिक बलात्कार और जघन्य हत्या के मामले में पुलिस, वकील और राजनेताओं की भूमिका ने संवेदनहीनता के नए प्रतिमान गढ़ने का काम किया है.

सेना द्वारा मानव ढाल बनाए गए फ़ारूक़ को वोट डालने पर सामाजिक बहिष्कार भी सहना पड़ा

कश्मीर में पिछले साल नौ अप्रैल को सेना ने फ़ारूक़ को पत्थरबाज़ बताते हुए जीप की बोनट से बांधकर कई गांवों में घुमाया था. घटना के एक साल बाद भी फ़ारूक़ अवसाद में हैं.

कश्मीरी फोटो पत्रकार को मिली ज़मानत, एनआईए ने पत्थरबाज़ी के आरोप में किया था गिरफ़्तार

एनआईए ने फोटो पत्रकार कामरान यूसुफ़ की गिरफ़्तारी के पक्ष में दलील दी थी कि एक पत्रकार की ज़िम्मेदारी होती है कि वह सरकारी विभागों के विकास कार्यों, स्कूल और अस्पताल के उद्घाटन या सत्तारूढ़ दल के बयान को कवरेज दे.

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