गुजरात के मोरबी में माच्छू नदी पर बना ब्रिटिश काल का केबल पुल अक्टूबर 2022 में ढह गया था, जिसमें 47 बच्चों सहित 135 लोग मारे गए थे. घटना की जांच कर रहे विशेष जांच दल ने हाईकोर्ट में पेश रिपोर्ट में कहा कि ओरेवा कंपनी ने एक ‘अक्षम एजेंसी’ को काम सौंपा और बिना तकनीकी विशेषज्ञों के परामर्श के काम किया गया.
गुजरात हाईकोर्ट के जज समीर दवे ने मोरबी केबल पुल हादसे के पांच आरोपियों को ज़मानत देने के बाद ओरेवा समूह के एक प्रबंधक की ज़मानत याचिका पर सुनवाई से ख़ुद को अलग कर लिया. पिछले साल अक्टूबर में हुए इस हादसे में 135 लोगों की जान चली गई थी.
मोरबी पुल हादसे के मामले में गुजरात हाईकोर्ट ने पुल के रखरखाव की ज़िम्मेदार ओरेवा कंपनी द्वारा प्रस्तावित मुआवज़े को अपर्याप्त बताते हुए निर्देश दिया कि वह प्रत्येक मृतक के निकट संबंधी को 10 लाख रुपये और दुर्घटना में घायल हुए 56 लोगों में से प्रत्येक को अंतरिम मुआवज़े के रूप में 2 लाख रुपये का भुगतान करे.
30 अक्टूबर 2022 को गुजरात के मोरबी शहर में माच्छू नदी पर बने केबल पुल के अचानक टूटने से क़रीब 141 लोगों की मौत हो गई थी. पुल के रखरखाव व संचालन का ठेका ओरेवा समूह के पास था. मामले में अब तक नौ लोगों को गिरफ़्तार किया गया है, जिनमें से चार ओरेवा के कर्मचारी हैं.
बीते 30 अक्टूबर को गुजरात के मोरबी शहर में माच्छू नदी पर बने केबल पुल के अचानक टूटने से क़रीब 141 लोगों की मौत हो गई थी. पुल के रखरखाव व संचालन का ठेका ओरेवा समूह के पास था. जांच बताती है कि कंपनी ने यह ठेका एक अन्य फर्म को दिया था, जिसे इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े काम की तकनीकी जानकारी नहीं थी.