हर बार चुनावों से पहले मीडिया के मैनेजमेंट से छनकर बढ़ती ग़रीबी, ग़ैर-बराबरी, बेरोज़गारी व महंगाई वगैरह के कारण सरकारों के प्रति आक्रोश व असंतोष की जो बातें सामने आ जाती हैं, क्या वे सही नहीं हैं? मतदाताओं की सरकारों से इस 'संतुष्टि' को कैसे देखा जाए?
वीडियो: देश में विभिन्न चुनावों के बीच सांप्रदायिक बयान और हेट स्पीच प्रचार का हिस्सा बन चुके हैं, जहां नेता बिना किसी जवाबदेही के नफ़रती बयान देते नज़र आ रहे हैं. वहीं, चुनाव आयोग भी इन पर ख़ामोश है. इसे लेकर द वायर की नेशनल अफेयर्स एडिटर संगीता बरुआ पिशारोती और एडीआर की लीगल लीड शिवानी कपूर से मीनाक्षी तिवारी की बातचीत.
केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) ने दिल्ली मुख्यालय को लिखे एक पत्र में कहा है कि सात दिसंबर को राज्य में दूसरे चरण का मतदान होने के बाद जब सैनिक 17 किमी पैदल समेत 200 किमी की दूरी तय कर रांची पहुंचे तो उन्हें न तो पीने के लिए पानी दिया गया और न ही अन्य स्थानीय मदद उपलब्ध कराई गई.
राज्य के सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की ओर से राज्य की कल्याणकारी योजनाओं पर लेख लिखने के लिए इच्छुक पत्रकारों से आवेदन मांगे गए. चार लेख लिखने वाले 30 चुनिंदा पत्रकारों को 15,000 रुपये दिए जाएंगे. विभाग ने बताया कि बड़ी संख्या में पत्रकारों से आवेदन मिले हैं.