पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने निजी क्षेत्र की नौकरियों में राज्य के निवासियों को 75 फ़ीसदी आरक्षण देने संबंधी हरियाणा सरकार के क़ानून पर बृहस्पतिवार को अंतरिम रोक लगा दी थी. हरियाणा में यह क़ानून 15 जनवरी से प्रभावी हुआ है.
विधानसभा ने ‘झारखंड राज्य निजी क्षेत्र में स्थानीय उम्मीदवार रोज़गार विधेयक, 2021’ को पारित कर दिया, जिसके तहत निजी क्षेत्र में 40 हजार रुपये प्रतिमाह तक के वेतन वाली नौकरियों में स्थानीय लोगों के लिए 75 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है. इसके साथ ही आंध्र प्रदेश व हरियाणा के बाद झारखंड ऐसा तीसरा राज्य बन गया, जहां निजी क्षेत्र में स्थानीय लोगों को रोज़गार प्रदान करने वाला क़ानून है.
हरियाणा सरकार ने इस महीने की शुरुआत में निजी क्षेत्र की नौकरियों में राज्य के युवाओं के लिए 75 फीसदी आरक्षण देने वाले क़ानून को मंज़ूरी दी थी. पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया कि यह क़ानून कर्मचारियों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है.
झारखंड सरकार की रोज़गार नीति के अनुसार, यह आरक्षण 30,000 रुपये प्रति महीने तक के वेतन वाली नौकरियों पर लागू होगा. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इसकी घोषणा आगामी विधानसभा सत्र के दौरान करेंगे. इसके अलावा बेरोज़गारों को एक वर्ष के लिए राज्य सरकार की ओर से पांच हज़ार रुपये प्रति माह भत्ता दिया जाएगा.
जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख में नौकरियां सभी के लिए हैं, लेकिन मध्य प्रदेश में ये सिर्फ़ राज्य के लोगों के लिए हैं.
स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि जब नौकरियों के अवसरों का अभाव है, ऐसे समय में राज्य के युवाओं की चिंता करना हमारा कर्तव्य है.