भारत के राजनीतिक तौर पर सर्वाधिक संवेदनशील मामलों को अनिवार्य रूप से जस्टिस अरुण मिश्रा की पीठ को ही भेजा जाता था और देश के सर्वोच्च न्यायालय के चार वरिष्ठतम जज इसकी वजह जानने के लिए इतिहास में पहली बार मीडिया के सामने आए थे.
शिवसेना के नेतृत्व वाली सरकार में एनसीपी के मंत्रियों की बैठक के बाद एनसीपी प्रवक्ता और मंत्री नवाब मलिक ने कहा कि यदि पर्याप्त सबूतों के साथ कोई शिकायत मिलती है तो सरकार जज बीएच लोया की मृत्यु के मामले को फिर से खोलने पर विचार करेगी.
जज बीएच लोया की मौत से जुड़ी याचिका वकील सतीश उके ने दायर की है. अपनी याचिका में उके ने आरोप लगाया है कि जज लोया को रेडियोएक्टिव आइसोटोप्स का इस्तेमाल करके जहर दिया गया था.
संस्थाएं ग़ुलाम हो चुकी हैं. मीडिया बाकायदा गोदी मीडिया हो चुका है, सब कुछ आपकी आंखों के सामने मैनेज होता दिख रहा है, फिर भी अमित शाह को क्यों डर लगता है कि 2019 में हार गए तो ग़ुलाम हो जाएंगे? क्या वे भाजपा के कार्यकर्ताओं को डरा रहे हैं? जीत के प्रति जोश भरने का यह कौन-सा तरीक़ा हुआ कि हार जाएंगे तो ग़ुलाम हो जाएंगे?
सोहराबुद्दीन हत्या मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने कहा कि इस मामले का मुख्य आधार चश्मदीद गवाह थे, जो अपने बयान से मुकर गए. नवंबर 2017 से शुरू हुई सुनवाई में 210 गवाहों की जांच की गई, जिनमें से 92 अपने बयान से पलट गए.
बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ में एक वकील सतीश ऊके द्वारा सीबीआई की विशेष अदालत के जज बीएच लोया की मौत की जांच के संबंध में याचिका दर्ज करवाई गई है.
क्या अमित शाह कभी सोचते होंगे कि हरेन पांड्या की हत्या और सोहराबुद्दीन-कौसर बी-तुलसीराम एनकाउंटर की ख़बर ज़िंदा कैसे हो जाती है? अमित शाह जब प्रेस के सामने आते होंगे तो इस ख़बर से कौन भागता होगा? अमित शाह या प्रेस?
नागपुर के एक वकील सतीश ऊके ने सीबीआई जज बीएच लोया की मौत को संदिग्ध बताते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में याचिका दायर कर कहा है कि जज लोया को ज़हर दिया गया था और इससे संबंधित सभी दस्तावेज मिटा दिए गए हैं.
द वायर एक्सक्लूसिव: एक मुख्य गवाह के बतौर आज़म खान गुजरात के पूर्व गृह मंत्री और भाजपा नेता हरेन पांड्या की हत्या से लेकर सोहराबुद्दीन शेख़ के एनकाउंटर से जुड़े कई राज़ जानते हैं. यही वजह है कि उन्हें अपनी जान पर ख़तरा नज़र आ रहा है.
उच्चतम न्यायालय की पीठ को बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन की पुनर्वियार याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि मामले में हस्तक्षेप की कोई वजह नज़र नहीं आई.
बॉम्बे लॉयर्स एसोसिएशन द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि मामले से जुड़े तथ्यों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के 19 अप्रैल के फैसले में न्याय नहीं हुआ है.
जज लोया मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी जनहित मामलों के लिए नुकसानदेह साबित होगी.
गोदी मीडिया के पास यह मानने के क्या आधार हैं कि दूसरे जज ख़िलाफ़ में फ़ैसला देंगे? महाभियोग के आरोपों को ख़ारिज करने के क्रम में गोदी मीडिया भी सीमाएं लांघ रहा है.
कांग्रेस के नेतृत्व में सात विपक्षी पार्टियों ने मुख्य न्यायाधीश के ख़िलाफ़ महाभियोग चलाने का नोटिस उपराष्ट्रपति को दिया है. कांग्रेस ने कहा कि उसके इस क़दम के पीछे कोई राजनीतिक उद्देश्य नहीं है.
सीजेआई दीपक मिश्रा के ख़िलाफ़ महाभियोग प्रस्ताव पर 71 सांसदों ने हस्ताक्षर किए, जिसमें कांग्रेस, राकांपा, माकपा, भाकपा, सपा, बसपा और मुस्लिम लीग शामिल हैं.