ओडिशा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस एस. मुरलीधर ने कहा कि न्यायिक प्रणाली अमीरों और ग़रीबों के लिए अलग-अलग तरीके से काम करती है. जिन लोगों के पास क़ानूनी सहायता सेवाओं को चुनने के अलावा कोई विकल्प नहीं है, उन्हें वह प्रतिनिधित्व नहीं मिलता, जिसके वे हक़दार हैं.