लोकपाल ने सूचना का अधिकार के तहत पूछे गए सवाल पर बताया है, वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान कुल 4,244 शिकायतें ऑनलाइन या ऑफलाइन और ई-मेल के माध्यम से प्राप्त हुई हैं, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 80 प्रतिशत अधिक है. वहीं, 2020-21 के दौरान ऑनलाइन या ऑफलाइन और ई-मेल के माध्यम से कुल 2,355 शिकायतें प्राप्त हुई थीं.
केंद्र सरकार को लोकपाल द्वारा केंद्रीय सतर्कता आयोग को भेजी गईं शिकायतों की प्रारंभिक जांच करने के लिए जांच निदेशक की नियुक्ति करनी है. हालांकि भ्रष्टाचार विरोधी संस्था लोकपाल के अस्तित्व में आने के दो साल से अधिक समय के बाद भी केंद्र ने अब तक जांच निदेशक की नियुक्ति नहीं की है.
लोकपाल के पास प्रधानमंत्री समेत सरकारी कर्मचारियों-अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने का अधिकार होता है. एक भ्रष्टाचार-रोधी कार्यकर्ता ने कहा कि दो साल से अधिक समय से लोकपाल कार्य कर रहा है. लोकपाल को उसके द्वारा प्राप्त भ्रष्टाचार की शिकायतों से संबंधित अभियोजन का विवरण सार्वजनिक करना चाहिए.
लोकपाल के पास प्रधानमंत्री समेत सरकारी कर्मचारियों-अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने का अधिकार होता है. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, 2019-20 में जितनी शिकायतें मिलीं, उससे अगले वर्ष 92 प्रतिशत कम शिकायतें आई हैं. लोकपाल को 2019-20 में भ्रष्टाचार की 1427 शिकायतें मिली थीं.
लोकपाल के अनुसार, कुल शिकायतों में से 1,347 का निस्तारण किया गया. इनमें से 1,152 शिकायतें लोकपाल के अधिकार क्षेत्र से बाहर की थीं. शिकायतों में से 245 शिकायतें केंद्र सरकार के अधिकारियों के विरुद्ध थीं.
अगर प्रधानमंत्री के खिलाफ शिकायत को खारिज किया जाता है तो इसका कोई कारण नहीं बताया जाएगा. वहीं केंद्रीय मंत्री या संसद के सदस्यों के खिलाफ मामला है तो इस संबंध में लोकपाल के कम से कम तीन सदस्यों की पीठ फैसला लेगी.
लोकपाल का अभी तक कोई स्थायी कार्यालय नहीं है. फिलहाल ये नई दिल्ली के अशोका होटल से काम कर रहा है. लोकपाल को अब तक कुल 1,160 शिकायतें मिली हैं लेकिन किसी भी मामले में जांच शुरू नहीं हुई है.
लोकपाल के अध्यक्ष और इसके सदस्यों की नियुक्ति में सत्ता पक्ष के सदस्यों की संख्या अधिक थी और चयन में पूरी तरीके से गोपनीयता बरती गई. ऐसा करना लोकपाल कानून के प्रावधानों का पूरी तरह से उल्लंघन है. चयन प्रक्रिया से समझौता करके मोदी सरकार ने कामकाज शुरू करने से पहले ही लोकपाल संस्था को कमजोर कर दिया है.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस पीसी घोष को देश के पहले लोकपाल के अध्यक्ष के तौर पर नियुक्ति को मंजूरी दी. इसके अलावा लोकपाल में आठ सदस्यों की नियुक्ति भी की गई.