हरमीत सिंह ग्रेवाल और दीपिंदर सिंह नलवा उन पांच वकीलों में शामिल थे, जिनकी सिफारिश कॉलेजियम ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए की थी. केंद्र सरकार ने तीन अन्य नामों की नियुक्ति को तो अधिसूचित कर दिया, लेकिन ग्रेवाल और नलवा के नामों को मंज़ूरी नहीं दी थी.
सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि अंधाधुंध गिरफ़्तारियां औपनिवेशिक मानसिकता का संकेत हैं. देश की जेलें विचाराधीन कैदियों से भरी हैं. अनावश्यक गिरफ़्तारियां सीआरपीसी की धारा 41 व 41(ए) का उल्लंघन हैं. कोर्ट ने ज़मानत आवेदनों के निपटारे को लेकर निचली अदालतों को भी फटकार लगाई.