मामला एटा ज़िले का है जहां मादक पदार्थ रखने के आरोप में जेल भेजे गए एक 15 वर्षीय किशोर ने ज़मानत पर बाहर आने के बाद बीते 21 सितंबर को कथित तौर पर आत्महत्या कर ली. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने अपने जांच विभाग को मामले की जांच का आदेश देते हुए ज़िला पुलिस से सवाल किया है कि किशोर के साथ बालिग के बतौर व्यवहार करने की क्या वजह थी.
विदिशा ज़िला अस्पताल का मामला. आरोप है कि अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती बच्चों को एक सरकारी कार्यक्रम में चिलचिलाती धूप में घंटों तक बैठाए रखा. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने राज्य के मुख्य सचिव को नोटिस जारी कर हफ़्ते भर में मामले की जांच कर दोषियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने को कहा है.