कर्नाटक में पिछले साल सितंबर में दो लोगों ने स्थानीय मस्जिद में घुसकर 'जय श्री राम' के नारे लगाए थे. इससे जुड़ी याचिका सुनते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि आईपीसी की धारा 295 ए के तहत तब तक अपराध नहीं माना जाता, जब तक उससे क़ानून-व्यवस्था पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता.
कर्नाटक हाईकोर्ट के जस्टिस वेदव्यसचार श्रीशनंदा ने एक मामले पर सुनवाई करते हुए बेंगलुरु के एक मुसलमान बहुल इलाके को 'पाकिस्तान' कहा था. अब सुप्रीम कोर्ट ने इस पर स्वत: संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से रिपोर्ट मांगी है.
यह हिंसा पिछले साल अगस्त में पूर्वी बेंगलुरु के डीजे हल्ली और केजी हल्ली इलाकों में पुलाकेशीनगर निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले कांग्रेस विधायक आर. अखंड श्रीनिवास मूर्ति के भतीजे पी. नवीन की फेसबुक पोस्ट के बाद हुई थी. इन दंगों में चार लोगों की मौत हो गई थी. आरोप है कि नवीन द्वारा पैगंबर मोहम्मद के बारे में सोशल मीडिया पर एक सांप्रदायिक और अपमानजनक पोस्ट करने के बाद भीड़ हिंसक हो गई थी.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फ़र्रुख़ाबाद के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को लिव-इन में रह रहे एक युवक-युवती को सुरक्षा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया है, जो अपने पारिवारिक सदस्यों की प्रताड़ना का शिकार हो रहे हैं.
इससे पहले बीते 11 नवंबर के इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपने एक फ़ैसले में कहा था कि अपनी पसंद के व्यक्ति के साथ जीने का अधिकार जीवन एवं व्यक्तिगत आज़ादी के मौलिक अधिकार का महत्वपूर्ण हिस्सा है. कोर्ट ने कहा कि इसमें धर्म आड़े नहीं आना सकता है.
कांग्रेस नेताओं ने रिपब्लिक टीवी प्रबंधन और इसके संपादक अर्णब गोस्वामी के ख़िलाफ़ बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख़ किया. वहीं, बेंगलुरु के एक आरटीआई कार्यकर्ता ने कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका दायर की.