क्या कुंभ के लिए बंद कराए गए कानपुर के चमड़ा कारख़ानों का भविष्य अब भी अधर में है

विशेष रिपोर्ट: कुंभ के लिए बंद किए गए कानपुर के चमड़ा कारख़ाने इसके ख़त्म होने के तकरीबन डेढ़ महीने बाद भी शुरू नहीं हो सके हैं. आरोप लग रहे हैं कि इन्हें निशाना बनाए जाने की वजह ज़्यादातर कारख़ाना मालिकों का मुस्लिम होना है.

‘मोदीजी के पैर धोने से कोई पवित्र नहीं हो गया, चार महीने से हमें वेतन नहीं मिला है’

वीडियो: बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इलाहाबाद में कुंभ मेले के दौरान कुछ सफाईकर्मियों के पैर धोए थे. उन सफाई कर्मचारियों से बातचीत.

‘सफाई कर्मचारियों के पैर धोने की ज़रूरत नहीं, उनके पैर कीचड़ से निकालने की ज़रूरत’

सीवर में होने वाली मौतों के ख़िलाफ़ सफाई कर्मचारियों के संगठन ने नई दिल्ली के जंतर मंतर पर किया प्रदर्शन. संगठन ने कहा कि सफाई कर्मचारी का बच्चा सफाई कर्मचारी न बने, उसके लिए सरकार को प्रयास करने की ज़रूरत है.

क्या संविधान ने हमें सम्मान से जीने के लिए पांव धोने की व्यवस्था दी है?

क्या किसी बेरोज़गार के घर समोसा खा लेने से बेरोज़गारों का सम्मान हो सकता है? उन्हें नौकरी चाहिए या प्रधानमंत्री के साथ समोसा खाने का मौक़ा? अगर पांव धोना ही सम्मान है तो फिर संविधान में संशोधन कर पांव धोने और धुलवाने का अधिकार जोड़ दिया जाना चाहिए.