जैसे फ़ैज़ाबाद अब फ़ैज़ाबाद नहीं रहा, वैसे ही उसमें कुंवर नारायण की स्मृतियां भी नहीं बचीं

पुण्यतिथि विशेष: कुंवर नारायण का जन्म अयोध्या के उस हिस्से में हुआ था, जिसे तब फ़ैज़ाबाद कहा जाता था. उनके बारे में कहा जाता है कि वे अनुपस्थित रहकर हमारे बीच ज्यादा उपस्थित रहेंगे, पर अपनी जन्मभूमि में उनकी किंचित भी ‘उपस्थिति’ नहीं दिखाई देती.

जब उतरती है कैनवास पर कविता

आज कुंवर नारायण की जन्म तिथि है. पढ़िए कलाकार सीरज सक्सेना का यह खूबसूरत निबंध जो उन्होंने अपने चित्रों और कुंवर नारायण की कविताओं से बुना है.

यांत्रिकता का प्रतिरोध करती कुंवर नारायण की कविता

प्रायः समीक्षकों ने कुंवर नारायण को ऐसा कवि सिद्ध करना चाहा है जिनकी कविताएं बौद्धिकता और अतिवैयक्तिकता के अलावा और कुछ नहीं हैं. शमशेर जैसे कवि को भी उनकी कविताओं में ‘रस’ की कमी लगी. पर यह एकांगी दृष्टि कवि की बहुआयामी रचनाशीलता को कमतर कर के देखने की कवायद है.