भारतीय मजदूर संघ ने नीति आयोग के उन निष्कर्षों को आधारहीन बताया है कि श्रम कानूनों में संशोधन के बिना विकास और रोज़गार संभव नहीं है.
सर्वोच्च न्यायालय ने हैरानी जताते हुए कहा कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) तक को भी इस बारे में पता नहीं है.
मज़दूरों को न्यूनतम सामाजिक सुरक्षा देने के लिए उनके कार्य क्षेत्र से जुड़े उपक्रमों पर एक उपकर (सेस) लगाया गया था, जिसे सरकार ख़त्म करती जा रही है.
मध्यप्रदेश के मुरैना जिले के बानमौर स्थित जेके टायर ने पिछले साल जून मेें अपनी एक यूनिट को घाटे में बताकर बंद कर दिया और करीब 900 मजदूरों को एक झटके में काम पर न आने का नोटिस थमा दिया. मजदूर तब से इसके खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं.