भीषण गर्मी कमज़ोर वर्ग को असमान रूप से प्रभावित करती है. ग़रीब श्रमिक के पास न तो आराम या सुकून का समय ही उपलब्ध हैं न ही चिकित्सा सुविधाएं. निर्माण और कृषि श्रमिकों तो खुले में श्रम और ऊंचे तापमान के लंबे समय तक संपर्क में होता है, ऐसे में उनके लिए भीषण गर्मी जानलेवा भी हो सकती है.
भीषण गर्मी से सर्वाधिक प्रभावित होने वाला वर्ग श्रमिकों का है. ऐसे में यूपी के ईंट के भट्ठों पर काम करने वाले प्रवासी मज़दूर (फायरमैन) घिसी हुई लकड़ी की चप्पलों, नींबू, नमक और चीनी के सहारे झुलसा देने वाली गर्मी के बीच बेहद कठिन परिस्थितियों में काम करने को मजबूर हैं.
हरियाणा के झज्जर शहर का मामला. सभी मज़दूर एक ही परिवार थे. मृतक मध्य प्रदेश के पन्ना ज़िले के रहने वाले थे.
मज़दूर दिवस पर विशेष: कहां तो कार्ल मार्क्स ने ‘दुनिया के मज़दूरों एक हो’ का नारा दिया और कहा था कि उनके पास खोने को सिर्फ बेड़ियां हैं जबकि जीतने को सारी दुनिया और कहां उन्मत्त पूंजी दुनिया भर में उपलब्ध सस्ते श्रम के शोषण का नया इतिहास रचने पर आमादा है.
नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमेन ने कहा कि भाजपा नीत राजग सरकार महिलाओं के लिए न्याय और सशक्तिकरण की बात करती है, लेकिन उसकी यह मंशा बजट में नहीं दिखी.