इस राज्य को भगवा बनाना चाहती भाजपा नहीं जानती कि देवदार के जंगल स्थानीय देवियों से अपनी प्राण-ऊर्जा हासिल करते हैं और बर्फ़ीले पर्वतों पर इस पृथ्वी के कुछ सबसे विलक्षण और प्राचीन बौद्ध विहार ठंडी धूप में चमकते हैं.
दिसंबर, 2021 में वन अधिकार क़ानून को पारित हुए 15 साल पूरे हुए हैं, हालांकि अब भी वन निवासियों को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. आज जहां पूरे भारत में 20 लाख से अधिक वन अधिकार दावे मंज़ूर किए गए, उनमें हिमाचल प्रदेश का योगदान केवल 169 है, जो प्रदेश को इस क़ानून के क्रियान्वयन में सबसे पिछड़ा राज्य बनाता है.
हिमाचल प्रदेश की लाहौल घाटी स्थित थोरांग गांव में सिर्फ़ 42 लोग रहते हैं. इनमें से 41 लोग संक्रमित पाए गए हैं. लाहौल-स्पीति घाटी राज्य में जनसंख्या के अनुपात के आधार पर कोरोना से सबसे ज़्यादा प्रभावित ज़िला बन गया है.