पाकिस्तानी नेवी के एक रिटायर कमोडोर ने कहा था कि भगत सिंह की ‘उपमहाद्वीप की आज़ादी की लड़ाई में कोई भूमिका नहीं थी.’ संसद में विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि इसे लेकर पाकिस्तान सरकार को कड़ा विरोध दर्ज कराया गया है.
भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) में राजद्रोह से संबंधित विवादास्पद क़ानून पर भारतीय कार्यकर्ताओं और यहां तक कि सर्वोच्च न्यायालय ने कई बार आपत्ति व्यक्त की है, यह देखते हुए कि असंतुष्टों के ख़िलाफ़ सरकार द्वारा इसका ग़लत तरीके से उपयोग किया जा सकता है.
पाकिस्तान के न्यायिक आयोग ने इस महीने की शुरुआत में उनके नाम की अनुशंसा की थी लेकिन जस्टिस आयशा मलिक की पदोन्नति का मामला विवादों में रहा, क्योंकि उनकी पदोन्नति को वरिष्ठता के सिद्धांत के ख़िलाफ़ बताया जा रहा था. जस्टिस मलिक लाहौर हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की वरिष्ठता सूची में चौथे स्थान पर हैं.
तीन बार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रह चुके नवाज़ शरीफ़ भ्रष्टाचार के एक मामले में सात साल की सज़ा काट रहे हैं. इलाज के लिए उन्हें चार हफ़्ते के लिए विदेश जाने की इजाज़त मिली थी. पिछले साल दिसंबर में यह अवधि ख़त्म हो चुकी है. तब से शरीफ़ लंदन से वापस नहीं लौटे हैं.
पाकिस्तान के राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो की ओर से बताया गया कि यह वॉरंट जंग मीडिया ग्रुप के प्रधान संपादक मीर शकीलुर रहमान को 1986 में गैर-क़ानूनी तरीके से ज़मीन आवंटित करने के मामले में जारी किया गया है. नवाज़ शरीफ़ उस समय पंजाब प्रांत के मुख्यमंत्री थे.
लाहौर हाईकोर्ट ने पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज़ मुशर्रफ़ के खिलाफ देशद्रोह के मामले की सुनवाई करने वाली और उन्हें मौत की सज़ा सुनाने वाली विशेष अदालत के गठन को सोमवार को ‘असंवैधानिक’ करार दिया. इस्लामाबाद की विशेष अदालत ने पिछले साल 17 दिसंबर को 74 वर्षीय मुशर्रफ को मौत की सज़ा सुनायी थी.
शादमान चौक पर 23 मार्च 1931 को अंग्रेजी हुकूमत ने क्रांतिकारी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी पर चढ़ाया था. उस दौरान यह चौक एक जेल का हिस्सा था.
पाकिस्तान सरकार से लाहौर के शादमान चौक पर भगत सिंह की प्रतिमा लगाने की भी मांग की गई है.