सुप्रीम कोर्ट ने बीते वर्ष 17 अक्टूबर को अपने फैसले में समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने से इनकार कर दिया था. इसके ख़िलाफ़ दायर की गईं पुनर्विचार याचिकाओं पर अब मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ सुनवाई करेगी.
दिलचस्प है कि एक केंद्रीय मंत्री (अर्जुन राम मेघवाल), जो एलजीबीटीक्यू+ समुदाय के लिए एक बुनियादी मानवधिकार, समलैंगिक सेक्स को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के ख़िलाफ़ थे, को ऐसे समय में क़ानून मंत्री बनाया गया है, जब सुप्रीम कोर्ट समलैंगिक विवाह को वैध बनाने संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है.