मध्य प्रदेश: अंबाला जेल की मिट्टी से नाथूराम गोडसे की प्रतिमा बनाएगी हिंदू महासभा

अंबाला की सेंट्रल जेल में 15 नवंबर 1949 को महात्मा गांधी की हत्या के अपराध में नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को फांसी दी गई थी. हिंदू महासभा ने कहा कि इस जेल की मिट्टी से बनी प्रतिमा को उनके ग्वालियर कार्यालय में स्थापित किया जाएगा और वे देशभर में गोडसे के 'बलिदान धाम' बनाएंगे. 

जेएनयू: लाइब्रेरी में तोड़फोड़ और सुरक्षाकर्मियों से मारपीट के आरोप में छात्रों पर केस दर्ज

दिल्ली पुलिस ने कहा कि 35-40 छात्रों का एक समूह पुस्तकालय के बाहर बीते आठ जून को इकट्ठा हुआ था, जो महामारी के कारण छात्रों के लिए बंद है. उन्होंने गेट के सामने विरोध किया और गार्ड से लाइब्रेरी के गेट खोलने को कहा, लेकिन गार्ड ने ऐसा करने से इनकार कर दिया. छात्रों ने विरोधस्वरूप पुस्तकालय के फाटकों को भी क्षतिग्रस्त कर दिया और सुरक्षाकर्मियों के साथ मारपीट की.

दिल्ली का वो थाना, जहां कुछ लोग पढ़ाई के लिए भी जाते हैं…

वीडियो: दिल्ली के आरके पुरम थाने में एक ऐसी लाइब्रेरी बनाई गई है जहां पर बच्चों को मुफ़्त में किताबें उपलब्ध करवाई जाती है. इसके अलावा वाईफाई की भी सुविधा दी जाती है ताकि बच्चों को पढ़ाई में किसी भी तरह की परेशानी न आए.

मध्य प्रदेश: ग्वालियर में गोडसे पर आधारित लाइब्रेरी शुरू होने के दो दिन बाद बंद

हिंदू महासभा ने बीते दस जनवरी को ग्वालियर में महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे के नाम पर ज्ञानशाला की शुरुआत की थी. महासभा की ओर से कहा गया था कि लाइब्रेरी को स्थापित करने का उद्देश्य आज के अज्ञानी युवाओं में सच्ची देशभक्ति को जगाना है, जिसके लिए गोडसे खड़े हुए थे.

मध्य प्रदेश: युवाओं को गोडसे के बारे में बताने के लिए हिंदू महासभा ने शुरू की गोडसे लाइब्रेरी

ग्वालियर में गोडसे ज्ञान शाला शुरू करते हुए हिंदू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. जयवीर भारद्वाज ने कहा कि दुनिया को यह बताने के लिए कि गोडसे सच्चे देशभक्त थे, लाइब्रेरी खोली गई है. इसका उद्देश्य आज के अज्ञानी युवाओं में सच्ची देशभक्ति जगाना है, जिसके लिए गोडसे खड़े हुए थे.

बिहार: एक लाइब्रेरी, जो मधुबनी क्षेत्र में उर्दू के ख़त्म होने की प्रकृति को बताती है

वीडियो: मधुबनी के एक गांव मोहम्मदपुर में एक शिक्षक मास्टर ज़करिया द्वारा फ़रोग़-ए-अदब लाइब्रेरी की स्थापना साल 1959 में की गई थी. लंबे समय तक इस पुस्तकालय ने सुचारू रूप से काम किया, लेकिन समय के साथ लोगों की रुचियां बदल गईं. फ़ैयाज़ अहमद वजीह और पावनजोत कौर की रिपोर्ट.

अंजुमनुल इस्लाह: जब एक क़स्बे में उर्दू को सहेजने की कोशिश हुई

देशभर में लाइब्रेरी के घटते चलन के बीच उस लाइब्रेरी को याद करना बेहद अहम हो जाता है, जिसे आम लोगों ने उन्नीसवीं सदी के आख़िर में बिहार के एक छोटे-से क़स्बे में शुरू किया था.

शाहीन बाग़ में सड़क किनारे बना किताबों का संसार

वीडियो: दिल्ली के शाहीन बाग बीते दो महीने से नागरिकता संशोधन क़ानून को लेकर हो रहे प्रदर्शन के बीच किताबों की एक दुनिया भी बन गई है. यहां के एक बस स्टॉप पर फातिमा शेख़ सावित्री बाई फुले लाइब्रेरी चल रही है, जो यहां आने वालों का ध्यान खींच रही है. रीतू तोमर की रिपोर्ट.