बीते 10 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने अपनी रजिस्ट्री और अन्य सभी अदालतों को अदालती मामलों में वादकारियों की जाति या धर्म का उल्लेख करने की प्रथा को तुरंत बंद करने का निर्देश दिया था. अदालत ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन जैसे निकायों के सदस्यों से निर्देशों का ध्यान रखने को कहा है.