कोरोना वायरस से वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा का हवाला देते हुए लोकसभा और विधानसभा चुनावों में डाक-मतपत्र के लिए मतदाताओं की आयु सीमा 80 साल से घटाकर 65 साल कर दी गई है. विपक्षी दलों का कहना है कि चुनाव आयोग बिना विमर्श चुनावी प्रक्रिया बदलने के लिए एकतरफ़ा क़दम उठा रहा है.
कोरोना वायरस को देखते हुए वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा के मद्देनज़र विधि मंत्रालय ने 19 जून को जारी संशोधन में 65 वर्ष या इससे अधिक उम्र के लोगों को डाक मतपत्र के इस्तेमाल की अनुमति दी है. इससे पहले यह आयु सीमा 80 वर्ष थी.
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बजट सत्र के पहले दिन अपने अभिभाषण में कहा कि संसद ने नागरिकता संशोधन कानून बनाकर महात्मा गांधी के विचारों का सम्मान किया है. हालांकि इस दौरान विपक्षी सदस्यों ने हंगामा करते हुए इसका कड़ा विरोध किया.
बयान में कहा गया है, ‘हम सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले और बोलने वालों के साथ खड़े हैं. संविधान के बहुलवाद और विविध समाज के वादे के साथ भारतीय संविधान के सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए उनके सामूहिक विरोध को सलाम करते हैं.’
अभिनेत्री नंदिता दास ने नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर का विरोध करते हुए कहा कि दोनों को जोड़ना बेहद खतरनाक है. उन्होंने कहा कि यह बांटने वाला कानून है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करने वाली कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों से पूछा कि जब पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में करोड़ों लोग धर्म के आधार पर मारे गए तब आप कहां थे?
उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर जैसे मुद्दों पर विचारपूर्ण और सकारात्मक बहस जरूरी है और प्रदर्शन के दौरान हिंसा के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए. लोकतंत्र में सहमति, असहमति बुनियादी सिद्धांत है. दोनों पक्षों को सुना जाना चाहिए.
रमाबाई मध्यप्रदेश के दमोह जिले के पथरिया सीट से बसपा विधायक हैं. रमाबाई ने अपनी पथरिया विधानसभा सीट पर केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल के एक कार्यक्रम में संशोधित नागरिकता कानून का समर्थन किया था. समर्थन करने पर पटेल ने उनकी तारीफ भी की थी.
अमेरिकी कांग्रेस की एक स्वतंत्र शोध इकाई कांग्रेशनल रिसर्च सर्विस की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार देश की नागरिकता संबंधी प्रक्रिया में धार्मिक पैमाने को जोड़ा गया है. संघीय सरकार की एनआरसी की योजना को संशोधित नागरिकता कानून के साथ लाने से भारत के लगभग 20 करोड़ मुस्लिम अल्पसंख्यकों का दर्जा प्रभावित हो सकता है.
अगर नागरिकता संशोधन क़ानून दूसरे देशों के मुसलमानों के साथ भेदभाव करता है, तो एनआरसी भारत के मौजूदा नागरिकों के प्रति शत्रुतापूर्ण है, जिसके कारण यह कहीं ज़्यादा ख़तरनाक है.
अमेरिकी विदेश विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अमेरिका ने भारत से अनुरोध किया है कि वह अपने संवैधानिक और लोकतांत्रिक मूल्यों को बरकरार रखते हुए धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करे.
गृहमंत्री अमित शाह ने संसद को बताया कि पिछले पांच साल में अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले 560 से अधिक मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता दी गई.
याचिका में आरोप लगाया गया है कि यह विधेयक संविधान के समानता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन करता है.
अमेरिका के मुस्लिम सांसद आंद्रे कार्सन ने कहा कि सांसदों द्वारा क्रूर नागरिकता संशोधन विधेयक को पारित करने के साथ ही आज हमने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक और घातक कदम देखा. हालांकि भाजपा के इतिहास और सांप्रदायिकता से उसके संबंध को देखते हुए यह कार्रवाई अप्रत्याशित नहीं है.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा, नागरिकता संशोधन विधेयक का पारित होना तुच्छ सोच वाली और कट्टर ताकतों की भारत के बहुलवाद पर जीत है.