2014 और 2019 में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनने के लिए क्षेत्रीय दलों की ज़रूरत नहीं थी. लेकिन इस बार है. ऐसे में भाजपा नहीं चाहेगी कि गठबंधन के प्रमुख घटक दलों, ख़ासकर तेदेपा और जदयू में से कोई नाराज़ हो.
लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा के करीब एक चौथाई उम्मीदवार दूसरे दलों से आयात किए हुए थे. भाजपा की इस रणनीति से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कई कार्यकर्ता नाराज़ थे.
राजधानियों में बैठे विश्लेषकों और वाचाल एंकरों के लिए गांव की भाषा व राजनीतिक मुहावरे पहले भी अबूझ रहे हैं और इस बार भी अबूझ रहे. वे न इन आवाजों को सुन पाए, न समझ पाए.
जम्मू-कश्मीर की पांच लोकसभा सीटों में से दो सीटों पर भाजपा, दो पर नेशनल कॉन्फ्रेंस और एक पर निर्दलीय प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है. वहीं, चुनावी मैदान में उतरे 100 उम्मीदवारों में से 89 की ज़मानत ज़ब्त हुई है.
जहां भाजपा सपा (और कांग्रेस) द्वारा उत्तर प्रदेश में उसे दी गई गहरी चोट को ठीक से सहला तक नहीं पा रही, उसके शुभचिंतक बुद्धिजीवी और विश्लेषक ‘मुद्दई सुस्त, गवाह चुस्त’ की तर्ज पर इस चोट को साधारण क़रार देने के लिए एक के बाद एक कुतर्क गढ़ रहे हैं.
उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों पर भाजपा ने उसके 33 निवर्तमान सांसदों को तीसरी या उससे अधिक बार चुनावी मैदान में उतारा था, जिनमें से आधे से ज़्यादा (20) सांसदों ने अपनी सीट गंवाई है.
भाजपा को पश्चिमी यूपी में राष्ट्रीय लोक दल और पूर्वांचल में निषाद पार्टी, अपना दल (सोनेलाल) और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी का साथ मिला था. इनके कुल छह उम्मीदवारों में से तीन को हार का सामना करना पड़ा.
गोरखपुर के बड़हलगंज क्षेत्र के रहने वाले रामभुआल निषाद अपने 28 वर्ष के राजनीतिक करिअर में बसपा, सपा, भाजपा में लगातार आवाजाही करते रहे हैं. सुल्तानपुर सीट पर पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी को हराकर उन्होंने 18 वर्ष और छह लगातार चुनाव हारने के बाद जीत हासिल की है.
निर्दलीय उम्मीदवार और खालिस्तान समर्थक कार्यकर्ता अमृतपाल सिंह ने खडूर साहिब संसदीय क्षेत्र से और सरबजीत सिंह खालसा ने फरीदकोट (आरक्षित) लोकसभा सीट से जीत दर्ज कर पंजाब की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है.
राज्य की कुल 39 लोकसभा सीटों से द्रमुक ने 22 सीटों पर जीत दर्ज की है, वहीं कांग्रेस को नौ सीटें मिली हैं. 'इंडिया' गठबंधन की इसकी सहयोगी पार्टी वीसीके, भाकपा, माकपा को दो-दो सीटों पर और आईयूएमएल को एक सीट पर जीत हासिल हुई है.
उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में भाजपा की सरकार है, लेकिन तीनों ही राज्यों में विपक्षी 'इंडिया गठबंधन' ने कड़ी टक्कर दी है.
निर्वाचन आयोग के नवीनतम आंकड़े बताते हैं कि बिहार की 40 सीटों पर एनडीए गठबंधन ने बढ़त बना रखी है. 'इंडिया' गठबंधन की ओर से आरजेडी 4, कांग्रेस 1 एवं वामदल दो सीटों पर आगे हैं.
केरल में सीधा मुकाबला कांग्रेस की अगुवाई वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) और राज्य में सत्तारूढ़ लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) के बीच होता.
फतेहपुर से साध्वी निरंजन ज्योति भी पीछे चल रही हैं. वहीं, मुजफ़्फरनगर से संजीव बलियान भी पीछे हैं.
लोकसभा चुनाव 2024 के साथ-साथ ओडिशा और आंध्र प्रदेश में विधानसभा चुनाव के नतीजे भी मंगलवार को घोषित किए जाएंगे.