शरद यादव तकरीबन चार दशक के लंबे राजनीतिक दौर के महत्वपूर्ण किरदार और गवाह रहे हैं. काश, उन्होंने अपनी कोई सुसंगत आत्मकथा लिखी होती, जिससे राजनीति की नई पीढ़ी, ख़ासकर समता, सेकुलरिज़्म और सामाजिक न्याय के लिए लड़ रहे युवाओं को सीखने को मिलता कि उन्हें क्या करना चाहिए और क्या नहीं.
मौत के ये मामले भागलपुर और मधेपुरा ज़िलों में सामने आए हैं. कुछ मीडिया रिपोर्ट में मरने वालों की संख्या 20 से 30 बताई जा रही है. बिहार में अप्रैल 2016 से शराब की बिक्री और खपत पर प्रतिबंध लगा हुआ है. हालांकि इस पर अमल को लेकर हमेशा से सवाल उठते रहे हैं. राज्य में कथित तौर पर ज़हरीली शराब से लोगों की मौत की घटनाएं अक्सर होती रहती हैं.
बिहार के मधेपुरा के जिलाधिकारी के आदेश को खारिज करते हुए गृह विभाग ने कहा कि वह इस मुद्दे पर गौर करेगा. वहीं, बिहार के पुलिस महानिदेशक ने कहा कि आदेश का लहज़ा बदला जाना चाहिए था.
बिहार के मधेपुरा लोकसभा पर यादव बिरादरी का प्रभुत्व है. यहां एनडीए की तरफ से जदयू नेता दिनेश चंद्र यादव मैदान में हैं जबकि महागठबंधन ने शरद यादव को मैदान में उतारा है, वहीं पप्पू यादव निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं.