राष्ट्रीय स्तर पर एक तरफ कांग्रेस वर्तमान हिंदुत्ववादी राजनीति के ख़िलाफ़ लड़ने का दम भरती है, वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश में इसके वरिष्ठ नेता कमलनाथ हिंदुत्व के घोर सांप्रदायिक चेहरों की आरती उतारते और भरे मंच पर उन्हें सम्मानित करते नज़र आते हैं.
मध्य प्रदेश के कांग्रेस नेता राजा पटेरिया को बीते 13 दिसंबर 2022 को कथित तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मारने की बात कहने के लिए गिरफ़्तार कर लिया गया था. हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया था कि मारने का मतलब उन्हें हराने से था. क़रीब 80 दिन जेल में बिताने के बाद बीते दिनों उन्हें रिहा कर दिया गया.
मध्य प्रदेश में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं राज्य के पूर्व मंत्री राजा पटेरिया के बयान को लेकर भाजपा ने जहां कांग्रेस की आलोचना की है, वहीं कांग्रेस ने पटेरिया को कारण बताओ नोटिस भेजा है. इस बीच पटेरिया ने दावा किया कि उन्हें ग़लत समझा गया.
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रहे कमलनाथ की जगह पर पूर्व मंत्री और सात बार के विधायक डॉ. गोविंद सिंह को कांग्रेस विधायक दल का नेता नियुक्त किया गया है. कमलनाथ ‘एक व्यक्ति एक पद’ के सिद्धांत के तहत प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष की ज़िम्मेदारी निभाते रहेंगे.
मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में देह व्यापार के मामले में बीती छह जनवरी को एक सैलून से 10 महिलाओं और आठ पुरुषों को गिरफ़्तार किया गया था. आरोप है कि इनमें से तीन लोग भाजपा की युवा मोर्चा का सदस्य होने के साथ राज्य के वन मंत्री विजय शाह के क़रीबी हैं. कांग्रेस ने मंत्री के इस्तीफ़े की मांग की है, वहीं मंत्री ने कहा है कि अगर कुछ ग़लत हुआ है तो पुलिस कार्रवाई करेगी.
मध्य प्रदेश की दमोह विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में हार के बाद भाजपा प्रत्याशी राहुल सिंह लोधी ने पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री जयंत मलैया को ज़िम्मेदार ठहराया था. भाजपा ने मलैया को कारण बताओ नोटिस भेजते हुए उनके बेटे और पांच मंडल अध्यक्षों को पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया है.
मध्य प्रदेश में नगर निकाय चुनाव से पहले कांग्रेस की ओर से यह फैसला किया गया है. इस फैसले का बचाव करते हुए पार्टी नेता कमलनाथ ने कहा कि अगर नरेंद्र मोदी हमारी पार्टी में शामिल होना चाहते हैं तो वे शामिल हो सकते हैं. अगर कोई सुधार करना चाहता है, तो वे आ सकते हैं.
बीते साल मार्च में शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री बनने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर आए तुलसीराम सिलावट और गोविंद राजपूत को मंत्री बनाया था, पर विधानसभा सदस्य न होने के कारण उन्हें अक्टूबर में इस्तीफ़ा देना पड़ा था. उपचुनाव में जीत के बाद वे फिर कैबिनेट का हिस्सा बने हैं.
इस साल मार्च में ज्योतिरादित्य सिंधिया की अगुवाई में कांग्रेस के 22 विधायकों के विधानसभा से त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल होने के चलते कमलनाथ सरकार गिर गई थी. अब इंदौर में हुए एक कार्य्रक्रम में भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि इसमें धर्मेंद्र प्रधान की नहीं, प्रधानमंत्री मोदी की बड़ी भूमिका थी.
28 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव भाजपा सरकार को बचाने की दृष्टि से ही अहम नहीं था बल्कि अपने कई समर्थकों सहित कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया का राजनीतिक भविष्य भी दांव पर था. उपचुनाव में उनके कुल 19 में से 13 समर्थक जीत हासिल करने में सफल रहे हैं.
मध्य प्रदेश उपचुनाव में मिली इस जीत के साथ 230 सदस्यीय सदन में अब भाजपा विधायकों की संख्या 107 से बढ़कर 126 हो गई है, जबकि कांग्रेस के विधायकों की संख्या 87 से बढ़कर 96 हो गई है.
उपचुनाव के प्रचार के दौरान कांग्रेस ने सरकार में वापसी का दावा करते हुए एक 'आरोप-पत्र' में भाजपा सरकार में हुए घोटालों की सूची देते हुए इनकी जांच करवाने की बात कही है. विधानसभा चुनाव से पहले भी पार्टी ने ऐसा पत्र जारी करते हुए यही कहा था. हालांकि सरकार आने के बाद इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया.
चीफ जस्टिस एसए बोबडे ने कहा कि किसी नेता का नाम स्टार प्रचारक की सूची से हटाना चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में नहीं है. चुनाव आयोग ने 30 अक्टूबर को मध्य प्रदेश उपचुनाव के प्रचार के दौरान आदर्श आचार संहिता के बार-बार उल्लंघन को लेकर कमलनाथ का स्टार प्रचारक का दर्जा समाप्त कर दिया था.
चुनाव आयोग द्वारा स्टार प्रचारक का दर्जा छीने जाने के क़दम को पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. चुनाव आयोग ने मध्य प्रदेश सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री के चुनाव प्रचार पर एक दिन की रोक लगाई. आपत्तिजनक टिप्पणी के लिए भाजपा उम्मीदवार गिरराज दंदोतिया और दो मंत्रियों- उषा ठाकुर और बिसाहू लाल साहू को नोटिस जारी.
भाजपा ने उपचुनाव वाली 28 में से 25 सीटों पर कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए विधायकों को टिकट दिया है, जिससे उन सीटों के मूल भाजपा कार्यकर्ता नाराज़ हैं. साथ ही पार्टी के वे नेता भी नाख़ुश हैं, जो दल बदलकर आए नेताओं के कारण सरकार में मंत्री नहीं बन सके.