सीबीआई और एसआईटी ने कहा कि दोनों एजेंसियों ने बताया कि साल 2016 में उन्होंने दोनों मामलों में सुनवाई पर अंतरिम रोक का आग्रह किया था, क्योंकि तर्कवादी नरेंद्र दाभोलकर हत्याकांड की जांच कर रही सीबीआई दोनों हत्याओं में मौका-ए-वारदात पर मिलीं गोलियों की फॉरेंसिक रिपोर्ट का इंतज़ार कर रही थी. इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने फटकार लगाते हुए उनसे पूछा था कि दोनों मामलों में कब तक तहक़ीक़ात पूरी हो सकती है.
महाराष्ट्र की अपराध जांच विभाग (सीआईडी) कम्युनिस्ट नेता गोविंद पानसरे की हत्या की जांच कर रही है, जबकि अंधविश्वास विरोधी कार्यकर्ता के रूप में चर्चित रहे नरेंद्र दाभोलकर की हत्या मामले की जांच की ज़िम्मेदारी सीबीआई को दी गई है. पुणे में दाभोलकर की हत्या साल 2013 में, जबकि कोल्हापुर में पानसरे की हत्या 2015 में कर दी गई थी.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने नरेंद्र दाभोलकर और गोविंद पानसरे हत्या मामलों की धीमी जांच पर नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़णवीस के पास गृह सहित 11 विभाग हैं लेकिन इस मामले को देखने के लिए उनके पास वक़्त नहीं है.
प्रख्यात शिक्षाविद और सामाजिक कार्यकर्ता राम पुनियानी ने बताया कि शनिवार 9 मार्च को ख़ुद को सीआईडी से बताने वाले तीन लोग उनके घर आए और पासपोर्ट आवेदन के बहाने परिवार से जुड़ी जानकारियां मांगी. महाराष्ट्र सीआईडी ने कहा, नहीं की किसी तरह की छानबीन.
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि इस देश में कोई भी संस्थान सुरक्षित नहीं है, भले ही वो न्यायपालिका ही क्यों न हो. भारत की छवि अपराध और बलात्कार वाले देश की बन गई है.
अदालत ने जांच एजेंसियों से कहा कि उन्हें धन के अभाव के चलते पानसरे हत्याकांड में अपनी जांच में विशेषज्ञों की सहायता लेने और नवीन प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करने से नहीं बचना चाहिए.