जमीयत उलेमा-ए-हिंद अरशद मदनी समूह ने कहा कि प्रदर्शन हर भारतीय नागरिक का लोकतांत्रिक अधिकार है, लेकिन वर्तमान शासकों के पास प्रदर्शन को देखने के दो मापदंड हैं. मुस्लिम अल्पसंख्यक प्रदर्शन करे तो अक्षम्य अपराध, लेकिन अगर बहुसंख्यक समुदाय के लोग प्रदर्शन करें और सड़कों पर उतरकर हिंसक कृत्य करें तो उन्हें तितर-बितर करने के लिए हल्का लाठीचार्ज भी नहीं किया जाता है.
जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी कहा कि ग़ैर-मुस्लिम लोगों को बेटियों को सह-शिक्षा देने से परहेज़ करना चाहिए, ताकि वो अनैतिकता की चपेट में नहीं आएं. जमीयत ने अपने बयान में समाज के प्रभावशाली और धनी लोगों से अपने-अपने क्षेत्र में लड़कियों के लिए अलग-अलग स्कूल और कॉलेज खोलने की अपील की.