पुलिस द्वारा यह कार्रवाई कठोर यूएपीए क़ानून के तहत पिछले साल दर्ज एक मामले को लेकर की गई है, जो कश्मीर के पत्रकारों व कार्यकर्ताओं को जान से मारने की धमकी से जुड़ा हुआ है.
जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि इस तरह एफआईआर दर्ज करना पत्रकार को ‘चुप कराने’ का तरीका था. पत्रकार की एक रिपोर्ट 19 अप्रैल 2018 को जम्मू के एक अख़बार में प्रकाशित हुई थी, जो एक व्यक्ति को पुलिस हिरासत में प्रताड़ित करने से संबंधित थी. इसे लेकर पुलिस ने उन पर केस दर्ज किया था.