सेंटर फॉर साइंस एंड एनवॉयरमेंट द्वारा जारी ‘भारत के पर्यावरण की स्थिति की रिपोर्ट 2021’ के अनुसार, इतनी बड़ी संख्या में पलायन के लिहाज़ से भारत दुनिया का चौथा सबसे बुरी तरह प्रभावित देश बन गया है. चीन, फिलीपींस और बांग्लादेश में पिछले साल सर्वाधिक पलायन हुआ. प्रत्येक देश में 40 लाख से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं.
श्रीनगर नगर निगम के महापौर समेत निर्वाचित सदस्यों ने आरोप लगाया है कि संयुक्त आयुक्त (योजना) गुलाम हसन मीर वास्तविक ग़रीब आवेदकों को छोड़कर सिर्फ़ अमीरों को ही भवन निर्माण की अनुमति दे रहे हैं. उन्होंने मांग की कि मीर ‘भ्रष्ट और अक्षम’ हैं, उन्हें तत्काल हटाया जाए. इन लोगों ने गुजरात कैडर के निगम आयुक्त आमिर अथर ख़ान के ख़िलाफ़ भी नारेबाज़ी की और कहा कि वे वापस अपने राज्य चले जाएं.
एक्शन एड इंटरनेशनल और क्लाइमेट एक्शन नेटवर्क साउथ एशिया की रिपोर्ट के अनुसार, पेरिस समझौते के तहत ग्लोबल वार्मिंग को दो डिग्री सेल्सियस से कम पर रोकने की राजनीतिक असफलता के कारण अकेले दक्षिण एशिया में बड़ी संख्या में विस्थापन होगा और यह क्षेत्र बाढ़, सूखा, तूफान, चक्रवात जैसी जलवायु संबंधी आपदाओं से जूझेगा.
1990 के बाद घाटी से बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडित पलायन कर गए थे, लेकिन कुछ परिवार यहीं रह गए. केंद्र सरकार द्वारा ऐसे आठ सौ से अधिक कश्मीरी पंडित परिवारों में किसी एक को नौकरी देने का वादा किया गया था, जो अब तक पूरा नहीं हुआ.
कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन में अपनी आजीविका खो चुके कामगार कुछ समय पहले पैदल चलकर, साइकिल चलाकर और ट्रकों के ज़रिये यहां तक कि कंटेनर ट्रकों और कंक्रीट मिक्सिंग मशीन वाहन में छिपकर आनन-फानन में बिहार स्थित अपने घर लौटे थे.
सोमवार को अहमदाबाद में घर लौटने की मांग को लेकर लगभग सौ मज़दूर सड़कों पर उतर आए और पथराव व तोड़-फोड़ की. इससे पहले रविवार को राजकोट में कामगारों ने गृह राज्य भेजने की मांग को लेकर हिंसक प्रदर्शन किया था, जिसमें एसपी समेत तीन पुलिसकर्मी और एक पत्रकार घायल हुए हैं.